Manuscript Number : SHISRRJ1221217
सम्प्रत्यय अधिगम के तार्किक नियमों की जटिलता पर धनात्मक-ऋणात्मक संवर्ग अवधान के प्रभाव का प्रायोगिक अध्ययन
Authors(1) :-डॉ. अशोक कुमार वर्तमान समाज जिसमें हम रहते हैं उसकी सीमायें बहुत व्यापक तथा उसका स्वरूप काफी जटिल है। सामाजिक परिदृष्य में मनुष्य अपने व्यवहार एवं चिन्तन की प्रक्रिया सम्प्रत्यय अधिगम के आधार पर ही करता है। सम्प्रत्यय सभी संज्ञानात्मक प्रक्रियाआंे की मौलिक इकाई है, सम्प्रत्यय अधिगम के अभाव में मानव द्वारा की जाने वाली चिन्तन प्रक्रिया, समस्या समाधान, निर्णय प्रक्रिया, स्मृति संचय आदि संभव नहीं है। मनोविज्ञान में सम्प्रत्यय अधिगम से संबंधित अध्ययनांे का इतिहास अति प्राचीन है किन्तु इसके विषय में प्रायोगिक अध्ययनांे और सही तथ्यांे का अभाव है, सम्प्रत्यय अधिगम की प्रक्रिया मुख्य रूप से चार तार्किक नियमों संयोजक, वियोजक, प्रतिबंधक और अन्योन्य प्रतिबंधक की सहायता से होता है। इन नियमांे मंे कुछ नियमों को सरल तथा कुछ नियमों को कठिन माना जाता है। और आज भी इनकी जटिलता पर विभिन्न मनोवैज्ञानिकों में मतभेद हैं। संबंधित अध्ययन में सम्प्रत्यय अधिगम के तार्किक नियमों की जटिलता को समझने का प्रयास किया गया है। परिणामों से स्पष्ट होता है कि जब तार्किक नियमों को धनात्मक-ऋणात्मक संवर्ग अवधान के आधार पर अधिगम किया जाता है तो संयोजक नियम और प्रतिबंधक नियम की जटिलता पूर्ण रूप से समान है। जो कि वियोजक और अन्योन्य प्रतिबंधक की तुलना में सरल है अर्थात इसकी जटिलता सबसे कम है, अन्य दो नियमों की जटिलता का अवलोकन करें तो वियोजक नियम जटिल है और अन्योन्य प्रतिबंधक सबसे जटिल है। इन नियमों की जटिलता का आंकलन सम्प्रत्यय अधिगम में लगने वाले अभ्यास - संख्या के आधार पर किया है।
डॉ. अशोक कुमार संज्ञानात्मक प्रक्रिया, तार्किक नियम, अभ्यास-संख्या, उद्दीपक, धनात्मक-ऋणात्मक संवर्ग अवधान। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022 Article Preview
मनोवैज्ञानिक, डी.ई.आई.सी. गुना म.प्र, भारत।
Date of Publication : 2022-03-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 109-119
Manuscript Number : SHISRRJ1221217
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ1221217