Manuscript Number : SHISRRJ122566
रामायण का आदिकाव्यत्व एवं उसका सांस्कृतिक तथा साहित्यिक महत्त्व
Authors(1) :-डॉ. दिलीप कुमार रामायण को परवर्ती साहित्य का आधार कहा जा सकता है क्योंकि परवर्ती साहित्य को इसके द्वारा भाव, भाषा और शैली का निर्देश मिला है। माधुर्यमयी उक्तियों का आरम्भ रामायण में ही संस्कृत साहित्य में हुआ है। रामायण की भाषा सुन्दर, ललित, प्रांजल, प्रवाह-पूर्ण तथा परिष्कारयुक्त है।
डॉ. दिलीप कुमार रामायण, साहित्यय, भाषा, भाव, शैली सांस्कृतिक। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023 Article Preview
पूर्व शोध छात्र, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2023-03-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 40-42
Manuscript Number : SHISRRJ122566
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ122566