महिलाओं के प्रति घरेलु हिंसा, प्रकृति कारण एवं निवारण

Authors(1) :-डॉ.वंचना सिंह परिहार

मान्यता है कि ईश्वर की सबसे खूबसूरत रचना नारी एवं नारी का स्वभाव है। प्रतोक रिश्ते को निभाना, रिश्तों के साथ जीना, नारी के खूबसूरत स्वभाव में स्नेह, प्रेम, करूणा, दया, सहिष्णुता, धैर्य, वात्सल्य, आवश्यकता पड़ने पर शक्ति स्वरूपा जैसे गुण विद्यमान है। माना जाता है कि नारी को वह शक्ति प्रकृति ने प्रदान की है जो प्राचीन काल से ही समस्त सामाजिक दायित्वों को निभा रही है। नारी दृढ़ निश्चयी एवं साहसी भी है। किंतु परिवर्तनशील समाज के नारी के साथ भी व्यवहार में परिवर्तन आता रहा है। कभी समानता एवं सम्मान का व्यवहार तो कभी असमानता शोषण, भेदभाव, अत्याचार जैसे व्यवहार का सामना नारी को करना पड़ा है। सामाजिक विकास के चरण में नारी द्वारा पुरूषों की आधीनता की मौन स्वीकृति ने नारी शोषण एवं अत्याचार को बढ़ावा दिया। पितृ सŸाात्मक समाज एवं संस्कृति ने नारी को अपने ही घर में दो यम दर्जे का व्यक्ति घोषित कर दिया। शनैः शनैः आर्थिक निर्भरता ने नारी को प्रस्थिति को पुरी तरह से निम्न स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया। प्रस्तुत अध्ययन महिलाओं के साथ होने वाली घरेलु हिंसा को दृष्टिगोचर करने के लिए है। घरेलु हिंसा की प्रकृति, उनका कारण एवं निवारण के परिप्रेक्ष्य में यह अध्ययन केंद्रित हैं प्रस्तुत अध्ययन में इंदौर जिले के 300 परिवारों को न्यायदर्श के रूप में सम्मिलित किया गया है। जिसमें से 100 महिलाये नौकरी पेशा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है फिर भी घरेलु हिंसा की शिकार है। 100 महिलायें निम्न वर्ग से है, जो किसी छोटे-मोटे व्यवसाय से जुड़ी हैं, असंगठित क्षेत्र की मजदूरी पेशा महिलाओं है, जो स्वयं आर्थिक उपार्जन कर रही है किंतु घरेलु, हिंसा का शिकार है। 100 महिलाएँ गृहिणीयाँ है जो सभी वर्गों से हैं। आर्थिक रूप से पति व परिवार पर निर्भर हैं तथा किसी -न-किसी प्रकार से घरेलु हिंसा से पीड़ित हैं। अध्ययन से घरेलु हिंसा के विभिन्न प्रकार व कारण उभरकर सामने आये है। पारिवारिक दायित्व को भी बखूभी निभा रही है। ऐसे में समय आ गया है कि समाज में संरचनात्मक परिवर्तन के साथ-साथ सांस्कृतिक परिवर्तन भी मूर्त रूप में आये। लोगों की, समाज की सोच सकारात्मक रूप से परिवर्तित हो। युवा सोच स्वयं के साथ-साथ नारी सम्मान को महŸाा दे। महिलाओं-बेटियों-बहनों के प्रति व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन एवं सम्मान लाना अतिआवश्यक हो गया है। सरकार के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के साथ सामाजिक आम जनता की है कि वे महिलाओं के प्रति बढ़ते घरेलु हिंसा को समाप्त कर समतामूलक एवं समाजजनक समाज का निर्माण करे।

Authors and Affiliations

डॉ.वंचना सिंह परिहार
प्रशासक, वन स्टाॅप सेंटर (सखी), महिला बाल विकास विभाग जिला इंदौर (म.प्र.)

घरेलु हिसा, समतामूलक समाज, संरचनात्मक परिवर्तन, सांस्कृतिक परिवर्तन, असंगठित क्षैत्र, नारी सम्मान, सामाजिक विकास, पितृ सŸाात्मक समाज, सामाजिक विघटन।

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Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023
Date of Publication : 2023-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 43-65
Manuscript Number : SHISRRJ122567
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ.वंचना सिंह परिहार, "महिलाओं के प्रति घरेलु हिंसा, प्रकृति कारण एवं निवारण ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 2, pp.43-65, March-April.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ122567

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