पौराणिक दृष्टि से तीर्थराज प्रयाग

Authors(1) :-वन्दना देवी

समस्त तीर्थों के अतिरिक्त प्रयाग में अन्र्वेदी माधव, मध्यवेदी के माधव, बाहर्वेदी के माधव के साथ ही अनेक छोटे-छोटे तीर्थों का विस्तृत साम्राज्य फैला हुआ है। इस प्रकार सभी तीर्थों को स्वयं में समाहित करने त्रिवेणी संगम स्थल होने एवं ब्रह्मा द्वारा सर्वप्रथम प्रकृष्ट यज्ञ करने के कारण यह प्रयाग तीर्थराज की पदवी पर अधिष्ठित है।

Authors and Affiliations

वन्दना देवी
शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत।

पौराणिक, तीर्थराज प्रयाग, भारतीय, संस्कृति, आधुनिक, सांस्कृतिक।

  • अमरकोष- 3.3.86
  • अनेकार्थसंग्रहकोष- 2.220
  • ऋग्वेद- 1.46.8
  • यजुर्वेद (रुद्राध्याय)- 16.61
  • महाभारत (वनपर्व)- 88.18
  • पùपुराण - 19.16, 17
  • पùपुराण (पातालखण्ड)- 13.23, 24
  • स्कन्दपुराण (काशीखण्ड)- अध्याय-6
  • स्कन्दपुराण (काशीखण्ड)- 7.49
  • ऋ0स0- 10,17,15 के अनन्तर परिशिष्ठ खिलपाठ अध्याय-3.12, 14
  • वाल्मीकि रामायण- 2.54.57
  • अग्निपुराण
  • पùपुराण- 6.23.34
  • पùपुराण
  • मत्स्यपुराण- 105.55
  • नारदपुराण- 2.63.7
  • अथर्ववेद- 19.53.3
  • ऋग्वेद - 10.83.7
  • शुक्लयजुर्वेद- 19.87
  • परम्परागत
  • Publication Details

    Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018
    Date of Publication : 2018-11-30
    License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
    Page(s) : 96-103
    Manuscript Number : SHISRRJ181422
    Publisher : Shauryam Research Institute

    ISSN : 2581-6306

    Cite This Article :

    वन्दना देवी, "पौराणिक दृष्टि से तीर्थराज प्रयाग", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 4, pp.96-103, November-December.2018
    URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ181422

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