Manuscript Number : SHISRRJ192110
उत्तररामचरित में आत्मा एवं परमात्मा का स्वरूप
Authors(1) :-डॉ. शान्ति लाल सालवी आत्मा के स्वरूप के सम्बन्ध में दर्शनों में पर्याप्त मत भेद है। अति-प्राकृत पुरूष अपने पुत्र के पुष्ट एवं नष्ट होने पर मैं ही पुष्ट एवं नष्ट हुआ हूँ। इस अनुभव के कारण पुत्र को आत्मा कहा जाता है। श्रुति वचन भी है कि ”आत्मा वे पुत्र नामासि।“ इत्यादि कुछ चार्वाक स्थूलशीर को आत्मा कहते हैं। तैतरीयोपनिषद् में “एष पुरूषोऽन्नरसमयः।“ इत्यादि से युक्त बतलाया है
डॉ. शान्ति लाल सालवी Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
सहायक आचार्य, साहित्य विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वारासी, भारत
Date of Publication : 2019-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 34-41
Manuscript Number : SHISRRJ192110
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192110