कश्मीर की धार्मिक परिस्थिति (कल्हणकृत् राजतरंगिणी के विशेष सन्दर्भ में)

Authors(1) :-रमेश चन्द्र नैलवाल

कश्मीर प्राचीनकाल से ही भारतीय ज्ञान परम्परा का संवर्धक क्षेत्र रहा है । यहाँ न केवल विविध ज्ञान विधाओं की परस्पर सामन्वयिक रूप में अभिवृद्धि हुई, अपितु नाना धार्मिक सम्प्रदायों के परस्पर समन्वय एवं वृद्धि का उल्लेख भी यहाँ प्राप्त होता है । अत एव विविध आगमों, शैवदर्शन, बौद्धदर्शन, वैष्णवमत, शाक्तमत एवं सूफीमत का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार भी यही हुआ । कल्हणकृत् राजतरंगिणी में धार्मिक समन्वय एवं विरोध के साथ विविध धर्मों एवं सम्प्रदायों का उल्लेख प्राप्त होता है । यहाँ के राजा प्रशासनिक विषयों में कुशल तो थे ही, साथ ही धार्मिकता और सनातनता से भी ओत-प्रोत थे । अत एवं तत्कालीन राजाओं ने विविध देवमन्दिरों शिवलङ्गों के साथ बौद्धविहारों एवं जैनमन्दिरों के भी निर्माण अपने राज्यकाल में करवाएँ । उनमें किसी भी सम्प्रदाय के प्रति वैमनस्य ज्ञात नही होता है । जो आज के राजनेताओं के लिए भी प्रासङ्गिक है । राजतरङ्गिणी में उपलब्ध वर्णाश्रम व्यवस्था, पुनर्जन्म, उत्सवप्रियता (शिवरात्रि, दीपोत्सव) चित्रकला, वास्तुकला, स्थापत्यकला, आतिथ्यशीलता इत्यादि से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्राचीनकाल से ही काश्मीरप्रदेश विविधधर्मों, सम्प्रदायों तथा संवादात्मक परिचर्चा एवं भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का प्रमुख केन्द्र था । जो धीरे-धीरे मुस्लिम शासकों की कट्टरता एवं विद्वेष से समाप्त हो गया । अतः आज पुनः तत्कालीन समाज से हमें बहुत कुछ सीखने एवं समझने की आवश्यकता है ।

Authors and Affiliations

रमेश चन्द्र नैलवाल
शोधच्छात्र, संस्कृत एवं प्राच्य विद्याध्ययन संस्थान, जवाहरलालनेहरुविश्वविद्यालय नई देहली,भारत

राजतरंगिणी, कल्हण, धार्मिक, शैव, मन्दिर, बौīद्धमत, जैनमत, शाक्तमत, कश्मीर

  1. जोनराज. राजतरङ्गिणी (अनु०- रघुनाथ सिंह). वाराणसी : चौखम्बा संस्कृत सीरिज ऑफिस, १९७२.
  2. कल्हण. राजतरङ्गिणी (व्या०- रामतेजशास्त्री पाण्डेयः). दिल्ली : चौखम्बा संस्कृत प्रकाशन, २०१५.
  3. Shonaleeka Kaul. The Making of Early Kashmir : Landscape and Identity in the Rajatarangini. Oxford University Press. 2018
  4. Jogesh Chunder Dutt. Kings of Kashmira : Being a Translation of the Sanskrita Work Rajatarangini of Kahlana Pandita. Low Price Publications. 1990.
  5. R. S. Pandit. Rajatarangini : The Saga Of The Kings Of Kasmir. Sahitya Akadami. 2010.

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019
Date of Publication : 2019-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 42-50
Manuscript Number : SHISRRJ19212
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

रमेश चन्द्र नैलवाल, "कश्मीर की धार्मिक परिस्थिति (कल्हणकृत् राजतरंगिणी के विशेष सन्दर्भ में)", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 1, pp.42-50, January-February.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19212

Article Preview