Manuscript Number : SHISRRJ192121
चौथीराम यादव का अस्मितावादी चिंतन व प्रतिरोध की परंपरा
Authors(1) :-अनीश कुमार आलोचना विधा हिन्दी साहित्य क एक महत्वपूर्ण विधा है । आलोचना किसी भी साहित्य में एक कसौटी की तरह कार्य करता है । आलोचना जगत में विभिन्न धाराएँ अपनी उपस्थिती दर्ज करवाती है । आलोचना अपने शुरुआत से लेकर आज तक अनेकों उतार-चढ़ाव से होकर गुजरा है । आलोचना की शुरुआत मुख्यतया द्विवेदी युग के समय से माना जाता है । साहित्य के किसी विधा की आलोचना उसकी सार्थकता मानी जाती है । ऐसा माना जाता है कि बिना आलोचना के कोई भी साहित्य साहित्य कि श्रेणी में नहीं आता । आज तक आलोचना की विभिन्न दृष्टियों के माध्यम से हिन्दी साहित्य के लेखन को देखा व परखा जाता रहा है । चौथीराम यादव मानते हैं कि सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य एक प्रगतिशील साहित्य है ।
अनीश कुमार Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
पी-एच.डी. शोध छात्र, हिन्दी विभाग, सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय, बारला, रायसेन, मध्य प्रदेश, भारत
Date of Publication : 2019-01-30
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Page(s) : 113-116
Manuscript Number : SHISRRJ192121
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192121