Manuscript Number : SHISRRJ192122
याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार दायविभाग के नियम एवं उनकी प्रासङ्गिकता
Authors(1) :-स्मिता यादव स्मृतियाँ में विविध विषयों का प्रतिपादन किया गया है । जिनमें दायविभाग प्रमुख है । दाय अर्थात् सम्पत्ति । अतः पैतृक सम्बन्धी सम्पत्ति का सम्यक् प्रकार से बिभाजन ही इस प्रकरण का उद्देश्य है । जिसमें सभी उत्तराधिकारियों को समान रूप से सम्पत्ति प्राप्त करने के अधिकार प्राप्त है । प्राचीन काल में सम्पत्ति विभाग के कुछ नियम वर्ण के अनुसार थे, कुछ देशकालादि वशात् थे । प्रायः पिता ही सम्पत्ति विभाजन में प्रधान माना जाता था । तथापि उसकी मृत्यु के अनन्तर सभी पुत्र सम्पत्ति में समान रूप से अपना अधिकार रखते थे । पिता मृत्यु से पूर्व यदि विभाजन करता था तो उसमें पिता स्वाधिकार अथवा इच्छा से विभाजन करता था । जिसमें प्रायः ज्येष्ठ पुत्र को ज्येष्ठ भाग, मध्यम को मध्यम भाग एवं कनिष्ठ को कनिष्ठ भाग देने की प्रथा थी । इसी प्रकार माता एवं पुत्री भी सम्पत्ति के उत्तराधिकार में उतना ही अधिकारी होते थे, जितना की पुत्र । अतः पुत्र एवं पुत्रियों में सम्पत्ति विभाजन में कोई भेद नही था । तथा पिता के मृत्यु के अनन्तर भाईयों का कर्तव्य था कि वे अविवाहित बहिनों का विवाह संस्कार करायें । इस प्रकार स्मृति प्रतिपादित विविध प्रकार के नियम आज भी प्रासङ्गिक एवं विचारणीय हैं ।
स्मिता यादव स्मृति, दायविभाग, स्त्रीधन, व्यवहार, पारिवारिकसम्पत्ति, विभागनियम Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
शोधच्छात्रा, जवाहरलालनेहरूविश्वविद्यालय, नई दिल्ली,भारत
Date of Publication : 2019-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 117-125
Manuscript Number : SHISRRJ192122
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192122