Manuscript Number : SHISRRJ192123
असम की लोक संस्कृति और जीवन दर्शन
Authors(1) :-बर्णाली गोगोई लोक.संस्कृति से तात्पर्य उस संस्कृति से है जो लोगों में परंपरा से चली आ रही है। यह किसी भी जनजाति या समाज की पहचान होती है। इसके द्वारा किसी भी समाज से परिचित हुआ जा सकता है। किसी भी समाज में संस्कृति महत्वपूर्ण स्थान रखती है। हर समाज की लोक.संस्कृति अलग.अलग होती है। हर जनजाति की लोक.संस्कृति के अंतर्गत उनकी रहन.सहनए खान.पानए वेश.भूषाए नृत्यए गीतए उत्सवए पर्वए व्यवहारए भाषा आदि आती हैं। असम पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। यह अनेक संस्कृतियों का अजायब घर हैं। यहाँ अनेक जनजातियाँ निवास करती हैंए जिस कारण असम में संस्कृतियाँ भी अनेक हैं। असम में कछारीए गारोए राभाए तिवाए मिरिए आहोमए बोरोए खाम्ती आदि अनेक जनजातियाँ निवास करती हैं। इन जनजातियों की अगर लोक.संस्कृति की बात की जाये तो यह एक दूसरे से काफी अलग हैए पर पूरी तरह से नहीं। इनकी लोक.संस्कृति के अंतर्गत खान.पानए रहन.सहनए वेश.भूषाए पूजा.पाठए रीति.रिवाजए त्यौहार आदि आते हैं। इनकी अपनी संस्कृति रहते हुए भी असम में रहने के कारण इन्हें असमिया कहा जाता है और इनकी संस्कृति असमिया संस्कृति का ही एक अंग है। यही बात इनको एक सूत्र में बांधकर रखती है। इस तरह असम में विविध जाति.जनजाति की लोक.संस्कृति प्रचलित है। असम की संस्कृति विविधता में एकता प्रदान करती है। जिस तरह भारत बहुभाषी देश होते हुए भी एक है। ठीक उसी प्रकार असम भी बहु संस्कृति से सम्पन्न होते हुए भी एक है।
बर्णाली गोगोई लोक.संस्कृतिए जनजातिए असमियाए बहुभाषीए संस्कृतिए समाजए रीति.रिवाजए परंपराए बिहु;बिहूद्धए बिहू.गीतए विवाहए असमए समाजए जीवन.दर्शनए बरगीतए शास्त्रीय.संगीतए जनजाति आदि ׀ Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
एम. फिल. छात्रा, हिंदी विभाग, राजीव गांधी विश्वविद्यालय, रोनो हिल्स, इटानगर, अरुणाचल प्रदेश, भारत
Date of Publication : 2019-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 126-138
Manuscript Number : SHISRRJ192123
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192123