पूर्वोत्तर में हिंदी शिक्षण की चुनौतियाँ और समाधान

Authors(1) :-दिगंत बोरा

भाषा शिक्षण अपने आप में एक कठिन कार्य है । किसी भी भाषा को सीखना आसान नहीं होते है । विशेष रूप से उस भाषा को सीखना आसान नहीं जो मातृभाषा से अलग होते है । पूर्वोत्तर भारत आठ राज्य है । सभी राज्य हिंदीतर भाषी है। सभी की मातृभाषाएँ अलग अलग हैं । इसी कारण पूर्वोत्तर में भी हिंदी शिक्षण में अनेक चुनौतियाँ आती हैं । जैसे दृ उच्चारण की समस्याए प्राथमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर अच्छे शिक्षकों की कमीए मातृभाषा का प्रभावए शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी और मातृभाषा होनाए अभ्यास की कमी आदि । इन समस्याओं की समाधान के लिए अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति करना अत्यावश्यक हैं । हिंदी को प्राथमिक स्तर से ही एक आवश्यक विषय के रूप में पढ़ाया जाना । हिंदी के प्रति लोगों में रूचि उत्पन्न करने से हिंदी शिक्षण की समस्या का समाधान हो सकता हैं। हिंदी बोलने.सीखने के लिए एक उपयुक्त परिवेश तैयार करने से ही पूर्वोत्तर में हिंदी शिक्षण की चुनौतियों का समाधान हो सकता हैं ।

Authors and Affiliations

दिगंत बोरा
शोधार्थीए हिंदी विभाग, राजीव गांधी विश्वविद्यालय, इटानगर, अरुणाचल प्रदेश, भारत

पूर्वोत्तरए असमए असमीए भाषाए समस्याए मातृभाषाए शिक्षाए शिक्षणए अभ्यासए प्रशिक्षणए सामाजिकए माध्यमए हिंदीए चुनौतीए परिवेशए उच्चारणए नियुक्तिए स्कूलए द्विभाषीए ज्ञानए सभ्यताए संस्कृतिए भाषिक आदि ।

  1. अरुणाचल प्रदेश में हिंदी अध्ययन के नये आयामए डॉण् श्याम शंकर सिंहए पृष्ठ दृ 37
  2. अरुणाचल प्रदेश में हिंदी अध्ययन के नये आयामए डॉण् श्याम शंकर सिंहए पृष्ठ दृ 40
  3. वहीए पृष्ठ दृ 40

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019
Date of Publication : 2019-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-05
Manuscript Number : SHISRRJ19221
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

दिगंत बोरा, "पूर्वोत्तर में हिंदी शिक्षण की चुनौतियाँ और समाधान", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 2, pp.01-05, March-April.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19221

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