Manuscript Number : SHISRRJ19221
पूर्वोत्तर में हिंदी शिक्षण की चुनौतियाँ और समाधान
Authors(1) :-दिगंत बोरा भाषा शिक्षण अपने आप में एक कठिन कार्य है । किसी भी भाषा को सीखना आसान नहीं होते है । विशेष रूप से उस भाषा को सीखना आसान नहीं जो मातृभाषा से अलग होते है । पूर्वोत्तर भारत आठ राज्य है । सभी राज्य हिंदीतर भाषी है। सभी की मातृभाषाएँ अलग अलग हैं । इसी कारण पूर्वोत्तर में भी हिंदी शिक्षण में अनेक चुनौतियाँ आती हैं । जैसे दृ उच्चारण की समस्याए प्राथमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर अच्छे शिक्षकों की कमीए मातृभाषा का प्रभावए शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी और मातृभाषा होनाए अभ्यास की कमी आदि । इन समस्याओं की समाधान के लिए अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति करना अत्यावश्यक हैं । हिंदी को प्राथमिक स्तर से ही एक आवश्यक विषय के रूप में पढ़ाया जाना । हिंदी के प्रति लोगों में रूचि उत्पन्न करने से हिंदी शिक्षण की समस्या का समाधान हो सकता हैं। हिंदी बोलने.सीखने के लिए एक उपयुक्त परिवेश तैयार करने से ही पूर्वोत्तर में हिंदी शिक्षण की चुनौतियों का समाधान हो सकता हैं ।
दिगंत बोरा पूर्वोत्तरए असमए असमीए भाषाए समस्याए मातृभाषाए शिक्षाए शिक्षणए अभ्यासए प्रशिक्षणए सामाजिकए माध्यमए हिंदीए चुनौतीए परिवेशए उच्चारणए नियुक्तिए स्कूलए द्विभाषीए ज्ञानए सभ्यताए संस्कृतिए भाषिक आदि । Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019 Article Preview
शोधार्थीए हिंदी विभाग, राजीव गांधी विश्वविद्यालय, इटानगर, अरुणाचल प्रदेश, भारत
Date of Publication : 2019-04-30
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Page(s) : 01-05
Manuscript Number : SHISRRJ19221
Publisher : Shauryam Research Institute
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