वर्तमान दौर में बुद्ध के उपदेशों का महत्व

Authors(1) :-रेखा मल्ल

वेद ही समस्त ज्ञान विज्ञान की राशि है। तदन्तर ब्राह्मण, आरण्यक इत्यादि ग्रंथों का प्रणयन हुआ। समस्त विचार पद्धति को चूर्णान्त ही दर्शन संज्ञाा से अभिहित है।

Authors and Affiliations

रेखा मल्ल
शोधच्छात्रा, गंगानाथ झा परिसर, प्रयागराज, भारत

ब्राह्मण, आरण्यक, चूर्णान्त, नास्तिक, षड़दर्शन।

  1. भारतीय दर्शन की रूपरेखा-प्रो0 हरेन्द्र प्रताप सिन्हा मोतीलाल बनारसीदास पब्लिसर्स प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली, बम्बई, चेन्नई, कोलकाता, बंगलौर, वाराणसी पूर्ण, पटना, 2009
  2. भारतीय दर्शन-आलोचना और अनुशीलन चन्द्रधर शर्मा, मोतीलाल बरारसीदास पब्लिसर्स प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली, 1990
  3. मिलिन्दप´्हो - सम्पा, आर0 डी0 वाडेकर, बम्बई, 1940
  4. प्राचीन भारतीय संस्कृति बी0 एन0 लूनिया, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल पब्लिकेशन, आगरा - 3 1996, 1998, 2000, 2002
  5. बुद्ध कालीन समाज और धर्म, डाॅ0 मनमोहन सिंह, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पटना, 2002
  6. बौद्ध धर्म, दर्शनः आचार्य नरेन्द्र देव, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना, 1956
  7. भारतीय दर्शन, बलदेव उपाध्याय, वाराणसी, 1945
  8. भारत का इतिहास, रोमिला थापर, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 1975, 1975, 1989, 2003
  9. सामाजिक समस्याएँ- राम अहूजाः रावत पब्लिकेशन्स, जयपुर नई दिल्ली, बंगलौर, हैदराबाद, गुवाहटी, 2000, 2009

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019
Date of Publication : 2019-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 78-80
Manuscript Number : SHISRRJ19227
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

रेखा मल्ल, "वर्तमान दौर में बुद्ध के उपदेशों का महत्व ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 2, pp.78-80, March-April.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19227

Article Preview