Manuscript Number : SHISRRJ192290
भारतीय संस्कृति में विभिन्न संस्कार व्यवस्था
Authors(1) :-सुशील कुमार जन्म से लेकर मृत्यु तक सारा जीवन विभिन्न संस्कारों से शुद्ध और पवित्र होता रहता है। संस्कारों को संपन्न किए बिना व्यक्ति का जीवन अपवित्र, अपूर्ण और अव्यवस्थित था, शरीर और आत्मा की शुद्धि और पवित्रता संस्कारों के संपादन से ही संभव थी। जीवन को विविध बाधाओं और विघ्नों से दूर रखना संस्कारों का मूल रहा है।
सुशील कुमार अपवित्र, अपूर्ण, अव्यवस्थित, शरीर, आत्मा, शुद्धि, भौतिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019 Article Preview
शोध छात्र, वैदिक दर्शन विभाग, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उŸार प्रदेश।,भारत
Date of Publication : 2019-03-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 207-217
Manuscript Number : SHISRRJ192290
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192290