Manuscript Number : SHISRRJ192314
अद्वैतवेदान्त के अनुसार जीव जगत की व्याख्या
Authors(1) :-डाॅ. अंकिता मालवीय प्रत्यगभिन्न ब्रह्म की पारमार्थिक सत्ता और अनेकात्मक जगत् की मायामयता। आत्मा, अनुभूतिस्वरूप होने से स्वयं सिद्ध है। इस विषय में ‘सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म’’ इत्यादि श्रुतियाँ प्रमाण है। प्रतीयमान संसार स्वप्न के समान है। राग, द्वेषादि दोषों से सम्बद्ध है। जैसे स्वप्न निद्राकाल में आभासित होता है और जाग्रत में उसका बाध हो जाता है उसी प्रकार यह जगत् भी अज्ञान काल में प्रतीत होता है और ज्ञान होने पर बाधित हो जाता है।
डाॅ. अंकिता मालवीय सत्यं, ज्ञानमनन्तं, ब्रह्म, श्रुतियाँ, प्रमाण, स्वप्न, निद्राकाल। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
पूर्व शोधछात्रा, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज,भारत
Date of Publication : 2019-05-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 60-65
Manuscript Number : SHISRRJ192314
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192314