Manuscript Number : SHISRRJ19234
भाषा : अर्जन-सम्प्रेषण और बाज़ारवाद
Authors(2) :-डॉ. अवधेश नारायण मिश्र, डॉ. राजीव रंजन प्रसाद मातृभाषा को सीखने, समझने, जीने और उस पर यथेष्ट विचार का काम बचपन से ही शुरू हो जाता है। सामाजिक-पारिस्थितिकी के बीच रह रहे बच्चों की हरकतों, प्रदर्शित गतिविधियों, हाव-भाव, क्रिया-प्रतिक्रिया आदि में ये बातें सर्वाधिक देखने को मिलती हैं। भाषा अर्जन-सम्प्रेषण की इस प्रक्रिया में देश, काल, परिवेश, समाज, समुदाय, धर्म, शैक्षणिक स्थिति, सामाजिक स्तरीकरण इत्यादि की भूमिका न सिर्फ महत्त्वपूर्ण होती है, बल्कि उसकी प्रकृति स्थूल-सूक्ष्म हुआ करती हैं। किसी नवजात शीशु के भीतर जानने-समझने की जो आन्तरिक प्रेरणाएँ जन्म लेती हैं; वे धीरे-धीरे कुतूहल से ऊपर की चीज हो जाती हैं। इसे ही जिज्ञासा (Curiosity) का नाम दिया गया है जो भाषा अर्जन-सम्प्रेषण में ‘ओपिनियन लीडर’ (Opinion Leader) की भूमिका निभाती है।
डॉ. अवधेश नारायण मिश्र Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019 Article Preview
प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी,भारत
डॉ. राजीव रंजन प्रसाद
सहायक प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, राजीव गाँधी विश्वविद्यालय, रोनो हिल्स, दोईमुख, अरुणाचल प्रदेश,भारत
Date of Publication : 2019-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 111-116
Manuscript Number : SHISRRJ19234
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19234