महात्मा गांधी विचार का कलात्मक प्रयोग एवं समकालीन परिदृश्य मे प्रासंगिकता।

Authors(1) :-डॉ संदीप कुमार मेघवाल

गांधी जी का जीवन सत्य, अहिंसा, सादगी और भाईचारे पर आधृत था इसलिए कला के संबन्ध में उनका विचार भी सादगी, सरलता, जीवंतता और जनमानस से सहज जुडने की प्रक्रिया के अनुकूल था। वे कला सत्यम् शिवम् सुंदरम् में सुन्दरम् के स्थान पर रखते थे। गांधी जी का स्वदेशी अपनाओं का नारा सिर्फ स्वदेसी उद्योग क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, यह स्वदेशी कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देना भी है। लेकिन साधारण तौर पर इस नारे को स्वदेशी उद्योगो के बढ़ावे के संदर्भ से ही जोड़ा गया है। हमे गांधी विचार का ग्रामीण विकास में कलात्मक प्रयोग कि और भी ध्यान आकर्षित करना चाहिए।

Authors and Affiliations

डॉ संदीप कुमार मेघवाल
(स्वतंत्र कलाकार), पता- मु. पो.- गातोड़(जयसमंद), तहसील- सराड़ा, जिला- उदयपुर, राजस्थान-313905,भारत

  1. नीरज, जयसिंह, 1996 महात्मा गांधी और कलात्मक सृजन, समकालीन कला, ललित कला अकादेमी कि पत्रिका 17(5): 32-36
  2. प्रताप, रीता, 2013, भारतीय चित्रकला एवं मूर्तिकला का इतिहास: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी जयपुर, 317

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019
Date of Publication : 2019-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 143-150
Manuscript Number : SHISRRJ19238
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ संदीप कुमार मेघवाल, "महात्मा गांधी विचार का कलात्मक प्रयोग एवं समकालीन परिदृश्य मे प्रासंगिकता।", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 2, pp.143-150, March-April.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19238

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