Manuscript Number : SHISRRJ19239
अधुनातन समय में कैकेयी के चरित्र की प्रासङ्गिकता
Authors(1) :-अंकित सिंह यादव समयानुसार अनेक उत्थान-पतन से गुजरी भारतीय नारी के विविध पक्षों को तथा उसके जीवन के विविध आयामों को संस्कृत साहित्य में स्थान प्राप्त हुआ। भारतीय नारी की स्थिति को संस्कृत साहित्य में वर्णित स्त्री पात्रों के आधार पर किया जा सकता है। इसी क्रम में वाल्मिकीय रामायण में चित्रित कैकेयी के चरित्र को देखें तो समस्त संसार में उसका चरित्र निर्दयी निष्ठुर कुमाता के रूप में विख्यात रहा है। आज भी भारतीय समाज में कोई भी अपनी पुत्री का नाम कैकेयी नहीं रखता। कैकेयी में जहाँ कुटिलता, कठोरता, स्वार्थपरता, कलहप्रियता के दुर्गुण थे, वहीं वह सरलता, प्रायश्चित के भावों से भरी हुई नारी भी थी। वस्तुतः कैकेयी ने जो अपराध किया था, वह मातृत्व के वशीभूत होकर किया था, परन्तु पश्चाताप की अग्नि में तपकर और आत्मग्लानि के अश्रु-प्रवाह से प्रक्षालित होकर उसका ह्रदय निष्कलुष और पवित्र भी हो गया था। कैकेयी रामायण की ऐसी पात्र है जो जीवन और जगत की सामान्य मानव की सीमाओं के यथार्थ को प्रस्तुत करती है।
अंकित सिंह यादव भारतीय, वाल्मिकीय, रामायण, कलहप्रियता, प्रायश्चित, आत्मग्लानि, कुटिलता, कठोरता, स्वार्थपरता वा. रा. 2/8/18 वा. रा. 2/7/32 वा. रा. 2/10/24 वा. रा. 2/11/26 वा. रा. 2/12/48 वा. रा. 2/10/32, 33 वा. रा. 2/12/13 वा. रा. 2/12/60 वा. रा. 2/12/15 वा. रा. 2/7/5 वा. रा. 2/7/10,11 वा. रा. 2/7/34 वा. रा. 2/8/16 वा. रा. 2/22/19 Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली,भारत
Date of Publication : 2019-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 151-158
Manuscript Number : SHISRRJ19239
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19239