आयार्च कौटिल्य कृत अर्थशास्त्र के अनुसार सप्तांगों का विवेचन

Authors(1) :-सुमन कुमारी

‘‘कौटिल्; का सप्तांÛ सि)ांत’’ केवल राज्; के साव;त स्वःप (व्तहंदपब वितउ) का निःप.ा करता है बल्कि ;ह संकेत भी देता है कि राज्; के किस अंÛ का क्;ा कार्; है। राजनीति की सू{म विवेचना करने में आचार्; कौटिल्; का नाम अÛ्रÛ.; है। आ/ाुनिक ;ुÛ में राज्; के अस्तित्व के लि, इन सभी तत्वों को आव”;क नहीं समझा जाता। कौटिल्; }ारा प्रतिपादित सात अंÛो की सर्वश्रे’ठता ,वं वि”ाु)ता पर ही राज्; की सर्वश्रे’ठता मानी जाती है।

Authors and Affiliations

सुमन कुमारी
शोधरत छात्रा, राजनीति विज्ञान विभाग, राॅची विश्वविद्यालय, राॅची, भारत

कौटिल्य, अर्थशास्त्र, सप्तांगा, राजनीति।

  1. प्राचीन भारत का इतिहास - के0सी0 श्रीवास्तव
  2. प्राचीन इतिहास - एस0के0 पाण्डेय
  3. वृहत्तर भारत - दत्ता पुरी मजूमदार
  4. राजनीतिक विचारक - पुखराज जैन
  5. भारतीय विचारक - बी0एल0 फाडिया
  6. संस्कृत साहित्य का इतिहास - वाचस्वपति गैरोला
  7. प्राचीन भारत का इतिहास - के0सी0 श्रीवास्तव
  8. कौटिलीय अर्थशास्त्र - ओम प्रकाश शर्मा
  9. भारतीय राजनीति विचारक - ओम प्रकाश गावा
  10. प्राचीन भारत का इतिहास - डाॅ0 गिरिजा शंकर प्रसाद मिश्र

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 29-33
Manuscript Number : SHISRRJ192402
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

सुमन कुमारी, "आयार्च कौटिल्य कृत अर्थशास्त्र के अनुसार सप्तांगों का विवेचन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 5, pp.29-33, September-October.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192402

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