Manuscript Number : SHISRRJ19245
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दी दलित साहित्य
Authors(1) :-डाॅ अखिलेश सिंह वर्तमान दलित साहित्य, साहित्य को सीधे तौर पर सामाजिकता से जोड़ता है। दलित वर्ग के साथ सदियों से होने वाले अमानवीय व्यवहार का ही प्रतिफलन है। दलित समाज द्वारा अपनी पहचान का विद्रोह ही दलित साहित्य के उद्भवन का आधार है दलित साहित्य का उद्देश्य साहित्य की कला एवं सौदर्य से परिचय करने की अपेक्षा दलितों की समस्याओं का यथार्थ अंकन कर उनका समाधान प्रस्तुत करना है। दलित साहित्य का विकास सर्वप्रथम मराठी में हुआ, मराठी में दलित साहित्य का विकास एक प्रकार से सांस्कृतिक उद्गार है। वस्तुतः हिन्दी क्षेत्र में दलित साहित्य की चर्चा 19वीं सदी से प्रारम्भ हुई, दलित साहित्य की चेतना सिर्फ अपनी समस्याओं के उद्गार तक सीमित न रह कर इसे अन्य धाराओं से अलग रखते हुये, अपने कलुषित यथार्थ से उर्जा प्राप्त कर नवीन संकल्पों का सृजन करना है।
डाॅ अखिलेश सिंह दलित साहित्य, सामाजिकता, दलित वर्ग, कला, सौदर्य। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 4 | July-August 2019 Article Preview
ग्राम व पोस्ट ईटवाँ, थाना गड़खा जिला-छपरा, बिहार, भारत
Date of Publication : 2019-08-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 13-18
Manuscript Number : SHISRRJ19245
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19245