श्री कृष्णस्तु भगवान स्वयम्

Authors(1) :-सुनील कुमार सिंह

भगवान् श्रीकृष्ण सर्वावतारी है। भगवान् के कुछ विशिष्ट गुणों के जो संकेत हैं, वे समग्र रूप से श्रीकृष्ण में विद्यमान हैं, जबकि अन्य अवतारियों में आंशिक रूप से है। अवतारों में श्रीकृष्ण को प्रमुख मानते हुए श्रीमद्भगवतकार ने इन्हें सर्वावतारी कहा है।

Authors and Affiliations

सुनील कुमार सिंह
शोधार्थी, संस्कृत विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार, भारत।

भगवान् श्रीकृष्ण, सर्वावतारी, हिन्दू, धर्मशास्त्र, महाभारत, ईश्वर, श्रीमद्भागवत।

  1. श्रीमद्भागवत 1/3/28 पूर्वार्द्ध
  2. ‘कृष्णस्तु भगवान् स्वयम्’ शीर्षक निबन्ध, द्वारा- गोस्वामी दामोदरजी शास्त्री कल्याण, श्रीकृष्णांक, सं॰ 2064, पृ॰ 21-22
  3. गीता, 4/6
  4. ‘कृष्णस्तु भगवान् स्वयम्’ निबन्धकार, द्वारा- श्रीकृष्णा जी वैरागी, श्रीकृष्णांक, कल्याण, गीता प्रेस, गोरखपुर, पृ॰ 180
  5. बिल्वमंगलकृत, कृष्णकर्णामृत
  6. ब्रह्म संहिता 5/39
  7. लघु भागवतामृत 1/41
  8. श्रीमद्भागवत 10/69/2
  9. श्रीमद्भागवत 10/40/7
  10. श्रीमद्भागवत 10/1/23
  11. श्रीमद्भागवत 11/11/28
  12. श्रीमद्भागवत 10/59/25 उत्तरार्द्ध
  13. श्रीमद्भागवत 10/49/28
  14. श्रीमद्भागवत 10/50/9-10
  15. भगवांस्तदभिप्रेत्य कृष्णो योगेश्वरेश्वरः। वयस्यैरावृतस्तत्र गतस्तत्कर्मसिद्धये।। श्रीमद्भागवत 10/22/8
  16. श्रीमद्भागवत में कृष्ण का स्वरूप, डाॅ॰ वासुदेवकृष्ण चतुर्वेदी कल्याण, 55 वर्ष, अंक 4
  17. श्रीमद्भागवत 1/3/6-25
  18. श्रीमद्भागवत 1/3/26
  19. श्रीमद्भागवत 2/7/1-38
  20. श्रीमद्भागवत 11/4 सम्पूर्ण अध्याय

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 3 | September-October 2018
Date of Publication : 2018-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 52-58
Manuscript Number : SHISRRJ1925011
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

सुनील कुमार सिंह, "श्री कृष्णस्तु भगवान स्वयम् ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 3, pp.52-58, September-October.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ1925011

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