Manuscript Number : SHISRRJ192507
स्त्री विमर्श का अभिप्राय
Authors(1) :-घनश्याम स्त्री-विमर्श का सरोकार जीवन और साहित्य में स्त्री-मुक्ति के प्रयासों से है। स्त्री की स्थिति की पड़ताल उसके संघर्ष एवं पीड़ा की अभिव्यक्ति के साथ-साथ बदलते सामाजिक सन्दर्भों में उसी भूमिका, तलाशे गए रास्तों के कारण जन्में नए प्रश्नों के टकराने के साथ-साथ आज की स्त्री की मुक्ति का मूल प्रश्न उसके मनुष्य के रूप में अस्वीकारे जाने का प्रश्न ही है। स्त्री के मनुष्यत्व को स्वीकारना आज के इस युग में भी मनुष्य की अवधारणा में मात्र पुरुषों को स्थान दिया गया है। समकालीन समय मंे स्त्री-विमर्श के स्वरूप को स्त्री-मुक्ति के संदर्भ में परिभाषित किया जा सकता है।
घनश्याम स्त्री, विमर्श, मनुष्य, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक संघर्ष, पीड़ा। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, हिन्दी विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज।, भारत
Date of Publication : 2019-09-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 48-53
Manuscript Number : SHISRRJ192507
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192507