एनीमेशन फिल्मों का जादुई संसार

Authors(1) :-डॉ. अंकित कुमार श्रीवास्तव

बच्चों का मन मनुष्य जीवन की सबसे प्रारंभिक एवं कोमल प्रवृति है| यों तो मानव जीवनानुभवों के माध्यम से मृत्युपर्यंत तक सीखता रहता है, किन्तु बाल्यावस्था में उसका मन एक कोरा कागज़ होता है| इस कोरे कागज़ पर आप जो रंग बिखेर दें , जो चित्र अंकित कर दें ,वह चित्र और छाया आजीवन उसके मानसिक पटल पर आच्छादित हो जाती है| एनीमेशन फ़िल्में दृश्य एवं ध्वनि का ऐसा सम्मोहक मिश्रण होती हैं जो बाल मन के उस कोरे कागज़ पर अपनी छाप छोड़ जाती हैं| दृश्य और ध्वनि के इस संयोजन में जहाँ कल्पनाशीलता का पूरा अवकाश होता है वहीं बिम्ब का साक्षात् रूप प्रस्तुत कर आप बाल-मन को किसी भी धारा में मोड़ सकते हैं| इन फिल्मों का प्रभाव बच्चों के व्यावहारिक जीवन में पड़ता है| प्रस्तुत शोध आलेख में एनीमेशन फिल्मों द्वारा बच्चों के मन पर पड़ने वाले प्रभाव एवं उनके व्यवहार में परिवर्तन की व्याख्या की जाएगी तथा बाल मन की सौन्दर्यानुभूति का भी विवेचन किया जायेगा|

Authors and Affiliations

डॉ. अंकित कुमार श्रीवास्तव
प्रवक्ता, हिंदी कोर एकडमिक यूनिट, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार, भारत

एनीमेशन, फिल्म, ध्वनि, सौन्दर्यानुभूति, बाल्यावस्था, मृत्युपर्यंत, मनुष्य, मानसिक सौन्दर्य|

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Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 3 | September-October 2018
Date of Publication : 2018-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 44-47
Manuscript Number : SHISRRJ192508
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. अंकित कुमार श्रीवास्तव, "एनीमेशन फिल्मों का जादुई संसार", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 3, pp.44-47, September-October.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192508

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