समस्याओं के निदान में श्रीमद्भागवत पुराण

Authors(2) :-डॉ. जी. एल. पाटीदार, हिम्मत कुमार खटीक

वर्तमान मानव कई प्रकार की समस्याओं से लिपटा हुआ सा दिखाई देता हैं। जब से मानव जीवन आरंभ हुआ है, समस्या मानव के इर्द-गिर्द ही रही है, और अब जिस बाजारवाद और भौतिकवाद में मानव कूदा है, तब से समस्याएं और भी बढ़ गई है। जिस विज्ञान को आधुनिक नासमझ मानव विकास बताकर ढोल-नगाड़े पीट रहा है, वही उसके विनाश का कारण बनेगा। तथा जिस वैदिक, औपनिषदिक, पौराणिक, आर्षकाव्य एवं स्मृति-साहित्य में ज्ञान की बात की है, या ज्ञानकाण्ड की बात करने वाला उपनिषद साहित्य ही इस मानव को सभ्य मानव बनाने में योगदान देगा। विनाश का प्रादुर्भाव कब से हुआ है? जब से चालाक मानव ने ज्ञान के आगे वि लगा कर विज्ञान कहा है, वहीँ से दुःख का आरंभ हो गया था, परंतु अंधविश्वास की दौड़ में कई वर्षों तक वह दिखाई नहीं दिया, और अब कलिकाल में हर तरफ विनाश ही विनाश दिखाई दे रहा है। मैं विज्ञान का सर्वदा विरोधी नहीं हूँ न करता हूं, पर जब मेरी प्रजाति खतरे में हो तो मैं क्या करूं? और हर व्यक्ति ऐसे विकास का विरोध भी करेगा। आज मेरी जाति-प्रजाति ही नहीं अपितु सम्पूर्ण पृथ्वीलोक का हर जीव रेड़जोन में दिखाई दे रहा है। चाहे वह दिल्ली का प्रदूषण हो या आसमाँ से बरसातें गोले या पिघलते हिमखण्ड हो या तेजधूप हो या अशुद्धवायु, हमें विकास ने वाई-फाई के जॉन में तो पहुंचा दिया, पर वायु को दूषित कर। अब पृथ्वी पर संघर्ष केवल-केवल जीने का ही है, न की विकास-विस्तार-वैभव का । क्योंकि जीवन ही नहीं होगा तो विकास किसके लिए होगा? हम साँसे लेकर विकास को जीवित रखने का छलावा-दिखावा ही कर सकते हैं। इस प्रकार की कई समस्याओं से आज का जीव भय, डर और आतंक का जीवन जी रहा है। समस्त विकास को विज्ञान की दृष्टि से नहीं अपितु दार्शनिक दृष्टि और जरूरत की दृष्टी से देखना होगा, जो जरूरतें है ही नहीं उनको बनाया जा रहा है और पिरोया जा रहा है और जरूरतों को उत्पन्न किया जा रहा है, इस प्रकार कृतिम आवश्यकताओं को उत्पन्न कर मानवमात्र को अंधलूट का शिकार बनाया जा रहा है, इस प्रकार इस गोले को नष्ट-नाबूत करने का प्रायोजित कार्यक्रम बनाया जा रहा है। इस दृष्टी को ध्यान में रखते हुए दार्शनिक एवं व्याहारिक दृष्टी से देखने समझने का प्रयास इस लेख में किया जा रहा है।

Authors and Affiliations

डॉ. जी. एल. पाटीदार
सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.), भारत
हिम्मत कुमार खटीक
शोधार्थी, संस्कृत विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.), भारत

  1. श्रीमद्भागवत महापुराण माहात्म्य- 57
  2. वहीं - 58
  3. https://sanskritdocuments.org/doc_upanishhat/brahmabindu.html?lang=sa
  4. श्रीमद्भागवत महापुराण- 25.15
  5. वहीं- 5.16
  6. तैत्तिरीयोपनिषद्-(शिक्षावल्ली)-11/1, गीताप्रेस, गोरखपुर, सं.2065
  7. राधेश्याम खेमका, स्रोत- डॉ. राजाराम गुप्ता, पृष्ठ संख्या - 3 ,जीवन संजीवनी, गीताप्रेस, गोरखपुर
  8. श्रीमद्भागवत पुराण- 29.21
  9. वहीं- 29.34
  10. वहीं - 31.19
  11. वहीं - 22.32
  12. वहीं - 22.33
  13. वहीं - 22.34
  14. वहीं- 14.37

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 16-21
Manuscript Number : SHISRRJ19251
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. जी. एल. पाटीदार, हिम्मत कुमार खटीक , "समस्याओं के निदान में श्रीमद्भागवत पुराण", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 5, pp.16-21, September-October.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19251

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