Manuscript Number : SHISRRJ192514
नरकण्ठीरवशास्त्रिदृशा काव्य.दोष विवेक
Authors(1) :-अतुल कुमार मिश्र दृ इस शोध पत्र में काव्य दोष के स्वरूप के साथ काव्य में उसकी क्या स्थिति हैघ् इन सभी प्रकार के समस्याओं पर नरकण्ठीरव शास्त्री का मन्तव्य प्रस्तुत किया गया है। मम्मट द्वारा काव्यलक्षण के विशेषण रूप में प्रयुक्त ष्अदोषौष् को कविराज आदि ने आलोचित किया गया है। इसका निराकरण करते हुए नरकण्ठीरवशास्त्री ने समाधान प्रस्तुत किया है कि अदोष पद का अर्थ दोषसामान्यशून्यत्व है। जिसका अभिप्राय यह है कि जो उद्देश्यप्रतीति में प्रतिबन्धक हो वही दोष पद के द्वारा ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार से मम्मट में प्रदर्शित दोष का निराकरण किया है पुनरू काव्य दोष के समस्त विकल्पों का प्रदर्शन किया है।
अतुल कुमार मिश्र नरकण्ठीरव शास्त्रीए काव्य.दोषए मम्मटए भारतीयए काव्यशास्त्रए अपकर्षकए काव्यए काव्यलक्षण। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019 Article Preview
शोधच्छात्रए संस्कृत विभागए दिल्ली विश्वविद्यालयए दिल्लीए भारत।
Date of Publication : 2019-09-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 70-75
Manuscript Number : SHISRRJ192514
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192514