नरकण्ठीरवशास्त्रिदृशा काव्य.दोष विवेक

Authors(1) :-अतुल कुमार मिश्र

दृ इस शोध पत्र में काव्य दोष के स्वरूप के साथ काव्य में उसकी क्या स्थिति हैघ् इन सभी प्रकार के समस्याओं पर नरकण्ठीरव शास्त्री का मन्तव्य प्रस्तुत किया गया है। मम्मट द्वारा काव्यलक्षण के विशेषण रूप में प्रयुक्त ष्अदोषौष् को कविराज आदि ने आलोचित किया गया है। इसका निराकरण करते हुए नरकण्ठीरवशास्त्री ने समाधान प्रस्तुत किया है कि अदोष पद का अर्थ दोषसामान्यशून्यत्व है। जिसका अभिप्राय यह है कि जो उद्देश्यप्रतीति में प्रतिबन्धक हो वही दोष पद के द्वारा ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार से मम्मट में प्रदर्शित दोष का निराकरण किया है पुनरू काव्य दोष के समस्त विकल्पों का प्रदर्शन किया है।

Authors and Affiliations

अतुल कुमार मिश्र
शोधच्छात्रए संस्कृत विभागए दिल्ली विश्वविद्यालयए दिल्लीए भारत।

नरकण्ठीरव शास्त्रीए काव्य.दोषए मम्मटए भारतीयए काव्यशास्त्रए अपकर्षकए काव्यए काव्यलक्षण।

  1. ण् काव्यलक्षण पृण् संण्२३
  2. ण्रसत्वव्याप्यधर्मावच्छिन्नविषयकत्वावच्छिन्नप्रतिबध्यत्वशाब्दबुद्धित्वावच्छिन्नप्रतिबध्यत्वान्यतरप्रतिबध्यतानिरुपितप्रतिबन्धकतायारू दोषाभावात्। काव्यलक्षण पृण् संण्२३
  3. ण्शाब्दबुद्धित्वावच्छिन्नंप्रतिआकाङ्क्षादिज्ञानस्यैवकारणत्वेनच्युतसंस्कृत्यभावादेरू कारणत्वेमानाभावात्। काव्यलक्षण पृण् संण्२४
  4. ण् काव्यप्रकाशप्रदीप ७ण्१
  5. ण्रसगंगाधर मर्मप्रकाशटीका
  6. ण्कीटानुविद्धरत्नादिसाधारण्येन काव्यता। दुष्टेष्वपि मता यत्र रसाद्यनुगमः स्फुटः॥ साहित्यदर्पण प्रथमपरिच्छेदए पृण् संण्९
  7. ण्काव्यप्रकाश ७ण्१
  8. ण्काव्यप्रकाशप्रदीप ७ण्१
  9. ण्काव्यप्रकाश वॄत्ति ७ण्१
  10. ण्काव्यप्रकाशप्रदीप ७ण्१
  11. ण्काव्यप्रकाश वृत्ति ७ण्१
  12. ण्काव्यलक्षण पृण् संण्२६
  13. ण्विशेष्यभूतप्रतीत्यनुत्पत्त्यावाविशेषणानुपत्पत्त्यावाविशिष्टप्रतीत्यनुत्पत्तेरू सार्वत्रिकत्वात्। काव्यलक्षणण्पृण् संण्२६

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 70-75
Manuscript Number : SHISRRJ192514
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

अतुल कुमार मिश्र, "नरकण्ठीरवशास्त्रिदृशा काव्य.दोष विवेक", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 5, pp.70-75, September-October.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192514

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