रघुवंश महाकाव्य में वर्णित नैतिक मूल्यों की अवधारणा

Authors(1) :-डॉ बशिष्ठ सिंह कुशवाहा

कालिदास की सम्पूर्ण कृतियों में नैतिक मूल्य कूट-कूट कर भरा है। उनकी प्रत्येक पंक्ति समाज को एक नया आयाम देती है। उन्होने समाज को जिया था तथा समाजिक गतिविधियों से चिरपरिचित थे। महाकवि कालिदास की सभी रचनाओं में रघुवंश महाकाव्य संस्कृत जगत् की अन्यतम कृति है। जिसमें वैयक्तिक,सामाजिक, नैतिक, आध्यात्मिक, राष्ट्रिय—अन्ताराष्ट्रिय आदि नैतिक मूल्यों का सफलतम प्रयोग मिलता है। कालिदास के रघुवंश में एक आदर्श प्रेम का चित्रण प्राप्त होता है। यह महाकाव्य हमें उपदेश देता है कि अगर सामाजिक मूल्यों का पालन न किया गया तो नैतिकता का विघटन संभव हो जाएगा।

Authors and Affiliations

डॉ बशिष्ठ सिंह कुशवाहा
(प्रवक्ता) +2 उच्च विद्यालय, देवघर, झारखण्ड, भारत

कालिदास, रघुवंश, महाकाव्य, संस्कृत, नैतिकता, मूल्य|

  1. रघुवंश, 16/8
  2. रघुवंश, 12/35
  3. रघुवंश, 12/16
  4. रघुवंश, 2/66
  5. रघुवंश, 1/17
  6. रघुवंश, 15/51
  7. रघुवंश, 1/37
  8. रघुवंश, 1/18
  9. रघुवंश, 1/7
  10. रघुवंश, 1/8
  11. रघुवंश, 1/3
  12. रघुवंश, 2/34
  13. रघुवंश, 1/28
  14. रघुवंश, 1/28
  15. रघुवंश, 1/28
  16. रघुवंश, 17/47
  17. रघुवंश, 8/9
  18. रघुवंश, 9/6

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-06
Manuscript Number : SHISRRJ19252
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ बशिष्ठ सिंह कुशवाहा , "रघुवंश महाकाव्य में वर्णित नैतिक मूल्यों की अवधारणा", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 5, pp.01-06, September-October.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19252

Article Preview