Manuscript Number : SHISRRJ192520
हिन्दी साहित्य में मराठी दलित आत्मकथा की विकास यात्रा
Authors(1) :-प्रसेन जीत सागर दलित चेतना के विकास में दलित पैंथर संगठन का बड़ा योगदान है। पैंथर दलितों पर अत्याचार, अन्याय करने वालों के खिलाफ खड़े हो गये, पैंथर नया था, जोश था। दलितों पर अत्याचार करने वालों में दहशत पैदा हो गयी। पैंथर की शुरूआत ही देवताओं व धर्मों को गालियाॅं देकर होती थी। दलित पैंथर की बैठकें, सभाएं, मोर्चे और कार्यकर्ताओं के साथ चर्चाएं होने लगी थी, इसी प्रक्रिया ने साहित्य सृजन के लिए प्रेरित किया, दलित साहित्य और दलित आन्दोलन सक्रिय केन्द्र बन गया। मुम्बई, औरंगाबाद और नागपुर जैसे शहर। दलित पैंथर और दलित साहित्य दलितों के स्वतंत्र अस्तित्व की आवश्यकता महसूस कराता है। मराठी साहित्य में दलितों का कोई स्थान नहीं वह सवर्णों का साहित्य था।
प्रसेन जीत सागर हिन्दी, साहित्य, मराठी, दलित, आत्मकथा, अत्याचार। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019 Article Preview
असिस्टेन्ट प्रोफेसर (हिन्दी विभाग), डाॅ0 राजेश्वर सेवाश्रम महाविद्यालय, ढिंढुई, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2019-10-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 117-121
Manuscript Number : SHISRRJ192520
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192520