हिन्दी साहित्य में मराठी दलित आत्मकथा की विकास यात्रा

Authors(1) :-प्रसेन जीत सागर

दलित चेतना के विकास में दलित पैंथर संगठन का बड़ा योगदान है। पैंथर दलितों पर अत्याचार, अन्याय करने वालों के खिलाफ खड़े हो गये, पैंथर नया था, जोश था। दलितों पर अत्याचार करने वालों में दहशत पैदा हो गयी। पैंथर की शुरूआत ही देवताओं व धर्मों को गालियाॅं देकर होती थी। दलित पैंथर की बैठकें, सभाएं, मोर्चे और कार्यकर्ताओं के साथ चर्चाएं होने लगी थी, इसी प्रक्रिया ने साहित्य सृजन के लिए प्रेरित किया, दलित साहित्य और दलित आन्दोलन सक्रिय केन्द्र बन गया। मुम्बई, औरंगाबाद और नागपुर जैसे शहर। दलित पैंथर और दलित साहित्य दलितों के स्वतंत्र अस्तित्व की आवश्यकता महसूस कराता है। मराठी साहित्य में दलितों का कोई स्थान नहीं वह सवर्णों का साहित्य था।

Authors and Affiliations

प्रसेन जीत सागर
असिस्टेन्ट प्रोफेसर (हिन्दी विभाग), डाॅ0 राजेश्वर सेवाश्रम महाविद्यालय, ढिंढुई, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत।

हिन्दी, साहित्य, मराठी, दलित, आत्मकथा, अत्याचार।

  1. ओम प्रकाश वाल्मीकि, दलित साहित्य का सौन्दर्य शास्त्र, राधा कृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, संस्करण-2015 पृ0सं0 19
  2. हरिनारायण, कथादेश, दलित साहित्य विशेषांक, दिलशाद गार्डन, दिल्ली, सितम्बर 2019 पृ0सं0 53
  3. जय प्रकाश कर्दम, दलित साहित्य (वार्षिकी) सम्यक प्रकाशन नई दिल्ली, 2015 पृ0सं0 102, 103
  4. डाॅ0 शरण कुमार लिंबाले अनुवादक रमणिका गुप्ता, दलित साहित्य का सौन्दर्य शास्त्र, वाणी प्रकाशन नई दिल्ली संस्करण, 2016, पृ0सं0 10
  5. वही पृ0सं0 15
  6. मोहन दास नैमिशराय, हिन्दी दलित साहित्य, साहित्य अकादमी नई दिल्ली, संस्करण 2018 पृ0सं0 189

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 117-121
Manuscript Number : SHISRRJ192520
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

प्रसेन जीत सागर, "हिन्दी साहित्य में मराठी दलित आत्मकथा की विकास यात्रा", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 5, pp.117-121, September-October.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192520

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