Manuscript Number : SHISRRJ192525
साहित्य में भक्तितत्त्वविमर्श
Authors(1) :-अनुपम सिंह भगवान् के अर्चक हम कर-पादादि अङ्गों से तथा अवयवी शरीरों से संयुक्त होकर, भगवद् कीर्तन करते हुए देव के हितार्थ यानी भगवत्प्रीत्यर्थ प्रवाहमान जीवन को प्राप्त हों अर्थात् हमारे जीवन का लक्ष्य लौकिक स्वार्थ सिद्धि नहीं अपितु भगवान् की सेवा द्वारा उनकी प्रसन्नता प्राप्त करना हो।
अनुपम सिंह साहित्य, भक्तितत्त्व, भक्तिरस, देव, भक्ति। ऋग्वेद् ६।१।५॥ शाण्डिल्यभक्तिसूत्रम् १।२।९॥ ऋग्वेद शुक्लयजुर्वेद 40.5। शाण्डिल्यभक्तिसूत्रम् कठोपनिषद् 1.2.23. शुक्लयजुर्वेद 31.18. श्रीमद्भगवद्गीता ३.१०॥ श्रीमद्भगवद्गीता 6.31। श्रीमद्भगवद्गीता 6-47। श्रीमद्भगवद्गीता 7-16. श्रीमद्भगवद्गीता 7-28. श्रीमद्भगवद्गीता 8-10. श्रीमद्भगवद्गीता 9-13. श्रीमद्भगवद्गीता 9-14. श्रीमद्भगवद्गीता 9-26. श्रीमद्भगवद्गीता 9-29. श्रीमद्भगवद्गीता 9-30. श्रीमद्भगवद्गीता 9-31. श्रीमद्भगवद्गीता 9-33. श्रीमद्भगवद्गीता 10-8. श्रीमद्भगवद्गीता 10-10. श्रीमद्भगवद्गीता 11.54. श्रीमद्भगवद्गीता 11-55. श्रीमद्भगवद्गीता 12-14. श्रीमद्भगवद्गीता 12-20. श्रीमद्भगवद्गीता 13-10. श्रीमद्भगवद्गीता 14-26. श्रीमद्भगवद्गीता 15-19. श्रीमद्भगवद्गीता 18-54. श्रीमद्भगवद्गीता 18-55. श्रीमद्भागवतम् 7-5-23. ऋग्वेद 1-89-8. ऋग्वेद 1-32-1. ऋग्वेद 1-10-1. ऋग्वेद 2-33-8. ऋग्वेद 8-89-1. ऋग्वेद 8-92-1. ऋग्वेद 9-60-1. ऋग्वेद 9-97-4. अथर्ववेद 6-1-1. ऋग्वेद 3-62-10. ऋग्वेद 8-102-15. श्रीमद्भगवद्गीता 13-22. ऋग्वेद 8-92-19. सामवेद 4-2-3-3. ऋग्वेद 1-10-1. शुक्लयजुर्वेद 3-60. शुक्लयजुर्वेद 16-66. ऋग्वेद 8-93-4. ऋग्वेद 4-17-9. ऋग्वेद 1-89-2 ऋग्वेद 10-186-2। श्वेताश्वतरोपनिषत् 6-18. ऋग्वेद 1-89-8. Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019 Article Preview
माझा सोनौरा, पोस्ट - चौरे बाजार, तहसील- बीकापुर, जिला- अयोध्या, उत्तर प्रदेश
Date of Publication : 2019-10-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 147-153
Manuscript Number : SHISRRJ192525
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192525