Manuscript Number : SHISRRJ192527
दीन दयाल उपाध्याय की राजनीति में राष्ट्र के लिए समर्पित चिन्तन
Authors(1) :-डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध के प्रचारक के नाते जीवन भर रहे। राजनीति में भी संघ के द्वारा भेजे गए। राजनीति क्यों होनी चाहिए और राजनीति में हम क्या आदर्श स्थापित करना चाहते है, यह दीन दयाल उपाध्याय ने अपने राजनीतिक जीवन में बतलाया । भारतीय जन संघ की स्थापना राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ और प्रथम अध्यक्ष डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अकस्मात निधन के पश्चात भारतीय जन संघ की वागड़ोर पूरी तरह से दीन दयाल उपाध्याय के कंधो के ऊपर आ गई। दीन दयाल उपाध्याय ने राजनीतिक दलों तथा कार्यकर्ताओं के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने राष्ट्रीय अखंडता तथा एकता को प्रमुखता से अपने राजनीतिक दल तथा स्वयं के आचरण में स्थान दिया। राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानते हुए कभी भी अपने राजनीतिक दल को राष्ट्र हित से ऊपर नहीं देखा। दीन दयाल उपाध्याय की राजनीति बहुत स्पष्ट थी, वो कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करते थे। उनके द्वारा कभी भी राजनीति को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उनका मानना था कि वोट बैंक के लिए कभी भी राष्ट्र को जाति, धर्म, पंथ आदि में नहीं बांटना चाहिए। दीन दयाल उपाध्याय अपनी राजनीति राष्ट्र को समर्पित करते हैं तथा आने वाले राजनीतिक दलों तथा कार्यकर्ताओं को एक आदर्श स्थापित करते हैं कि राष्ट्र का हित सर्वोपरि होता है।
डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर, स्वः लक्ष्मी कुमारी बधाला गर्ल्स पी.जी. कॉलेज गोविन्दगढ़, चौमूँ (जयपुरम्)
Date of Publication : 2019-10-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 159-163
Manuscript Number : SHISRRJ192527
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192527