दीन दयाल उपाध्याय की राजनीति में राष्ट्र के लिए समर्पित चिन्तन

Authors(1) :-डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः

दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध के प्रचारक के नाते जीवन भर रहे। राजनीति में भी संघ के द्वारा भेजे गए। राजनीति क्यों होनी चाहिए और राजनीति में हम क्या आदर्श स्थापित करना चाहते है, यह दीन दयाल उपाध्याय ने अपने राजनीतिक जीवन में बतलाया । भारतीय जन संघ की स्थापना राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ और प्रथम अध्यक्ष डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अकस्मात निधन के पश्चात भारतीय जन संघ की वागड़ोर पूरी तरह से दीन दयाल उपाध्याय के कंधो के ऊपर आ गई। दीन दयाल उपाध्याय ने राजनीतिक दलों तथा कार्यकर्ताओं के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने राष्ट्रीय अखंडता तथा एकता को प्रमुखता से अपने राजनीतिक दल तथा स्वयं के आचरण में स्थान दिया। राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानते हुए कभी भी अपने राजनीतिक दल को राष्ट्र हित से ऊपर नहीं देखा। दीन दयाल उपाध्याय की राजनीति बहुत स्पष्ट थी, वो कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करते थे। उनके द्वारा कभी भी राजनीति को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उनका मानना था कि वोट बैंक के लिए कभी भी राष्ट्र को जाति, धर्म, पंथ आदि में नहीं बांटना चाहिए। दीन दयाल उपाध्याय अपनी राजनीति राष्ट्र को समर्पित करते हैं तथा आने वाले राजनीतिक दलों तथा कार्यकर्ताओं को एक आदर्श स्थापित करते हैं कि राष्ट्र का हित सर्वोपरि होता है।

Authors and Affiliations

डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः
एसोसिएट प्रोफेसर, स्वः लक्ष्मी कुमारी बधाला गर्ल्स पी.जी. कॉलेज गोविन्दगढ़, चौमूँ (जयपुरम्)

  1. पंडित दीन दयाल उपाध्यायः विचार दर्शन, राजनीति राष्ट्र के लिए
  2. दीन दयाल उपाध्याय, राष्ट्र चिंतन, (2) अखंड भारतः साध्य और साधन, राष्टधर्म पुस्तक प्रकाशन, लखनउ, पृ: 33
  3. पांच्चजन्य, कश्मीर अंक, (दीपावली, 2019) 28 अक्तूबर, 1962, पृ 167
  4. दीन दयाल उपाध्याय, मताधिकार कागज का टुकड़ा नहीं, लोकाज्ञा है', पाच्चजन्य, 21 जनवरी 1962 (चुनाव विशेषांक पृ 40)
  5. दीन दयाल उपाध्याय, ‘मताधिकार कागज का टुकड़ा नहीं, लोकाज्ञा है', पाच्चजन्य, 21 जनवरी 1962 (चुनाव विशेषांक, पृ.41)
  6. पंडित दीन दयाल उपाध्याय, विचार दर्शन
  7. समर्थ भारत, सांस्कृतिक राष्टवाद का अर्थ (प्रो बाल आपटे)
  8. एकात्म मानववाद, व्यक्ति और समाज
  9. भारतीय राजनीति को पंडित दीन दयाल उपाध्याय का योगदान, अध्याय 3, पं दीनदयाल जी का राजनीतिक चिंतन (डॉ. ईला त्रिपाठी, डा प्रयाग नारायण त्रिपाठी) राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  10. कश्मीर आंदोलन व मुखर्जी की मृत्यु के संदर्भ में निम्न पुस्तकें पठनीय हैं उमाप्रसाद मुखर्जी, ए मुखर्जी, 'श्यामाप्रसाद मुखर्जी हिज डेथ इन डिटेंसन,' ए केस फार इन्क्वारी, कलकता सेकेंड एडीसन 1953, कश्मीर समस्या और जम्मू सत्याग्रह, भारतीय जनसंघ प्रकाशन, दिल्ली

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 159-163
Manuscript Number : SHISRRJ192527
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः, "दीन दयाल उपाध्याय की राजनीति में राष्ट्र के लिए समर्पित चिन्तन ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 5, pp.159-163, September-October.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192527

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