Manuscript Number : SHISRRJ192610
संस्कृत साहित्य शास्त्र में रीतितत्व
Authors(1) :-आलोक कुमार त्रिपाठी आधुनिक आचार्यों ने रीतितत्त्व के सन्दर्भ में स्वकीय मतों को उपस्थापित किया है। ध्वनिवादियों ने रीति, मार्ग, वृत्ति तथा प्रवृत्ति को पर्यायभूत स्वीकार करते हुये इसे वृत्ति रूप में परिवर्तित कर दिया। काव्यशास्त्र के आरम्भिक चरण में रीतितत्व को अलग सम्प्रदाय के रूप में व्याख्यात किया गया था। आचार्य वामान ने रीति को गुणों से सम्बद्ध किया तथा कुन्तक ने इसे कवि-व्यापार के रूप में अङ्गीकृत किया। आधुनिक आचार्यों में प्रो० राधावल्लभ त्रिपाठी रीति के सन्दर्भ में नवीन एवं मौलिक प्रतिपादन करते है, वे चार नई रीतियों का उल्लेख नवीन ढंग से करते है। रीतियों के सम्बन्ध में प्रो० त्रिपाठी का विवेचन प्रशंसायोग्य है।
आलोक कुमार त्रिपाठी संस्कृत, साहित्य, शास्त्र, रीतितत्व, आधुनिक आचार्य, आचार्य वामान। 1. ऋग्वैद-2/27/24 Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019 Article Preview
शोध छात्र, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय,जौनपुर, भारत
2. ऋग्वैद-2/39/5
3. अभिराजयशोभूषण-पृ०सं० 93
4. काव्यादर्श-1/40
5. काव्यादर्श-1/101
6. काव्यालंकारसूत्रवृत्ति-2/7-8
7. साहित्यबिन्दु-4/1
8. अभिराजयशोभूषण-2/70-74
Date of Publication : 2019-12-30
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Page(s) : 50-52
Manuscript Number : SHISRRJ192610
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192610