Manuscript Number : SHISRRJ192611
अर्थशास्त्र में प्रतिपादित पशुपालन सम्बन्धी आर्थिक नीति
Authors(1) :-विवेक कुमार पाण्डेय सरकार के द्वारा उठाए गये सारे कदम सराहनीय है फिर भी मूलभूत समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान होना चाहिए। पशुपालन एवं दुग्ध उद्योग के विकास में भी कौटिल्य चिन्तन अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगा।
विवेक कुमार पाण्डेय अर्थशास्त्र, पशुपालन, आर्थिक नीति, कौटिल्य कालीन समाज। 1. अस्थि वीजानां शकृदालेपः शाखिनां गत्र्तदाहो। अर्थशास्त्र 2-40-24 Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019 Article Preview
शोध छात्र, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर, भारत
2. क्षीरद्रोणे गवां घृतप्रस्थः पंचभागधिको
महिषीणामं-क्षीरा घृतादि वृद्धिर्भवति।
3. अर्थशास्त्र अध्यक्ष प्रचार अर्थशास्त्र 2-45-29 द्वितीय अधिकरण
4. पशूनाम् स्वयं हन्ता-रूपमूल्यं मजेस्। अर्थशास्त्र 2-45-29
5. गोमहिषमजाविकं खरोष्ट्रम श्वाश्वतराश्व व्रजः। अर्थशास्त्र 2-45-29
6. गोपालक पिण्डारक ......... वेतनोपग्राहिकर- अर्थशास्त्र 2-45-29
7. घृतस्याष्टौ वारकानपणिकं पुच्छमङ्कचर्म च वार्षिकं दद्यादिति करप्रति कर
अर्थशास्त्र 2-45-29
8. व्याधितन्यडानन्य दोही .........भग्नोत्सृष्टकम्। अर्थशास्त्र 2-45-29
9. परचक्राटवी भयादनु .......... भागनुप्रविष्टकम्। अर्थशास्त्र 2-45-29
Date of Publication : 2019-12-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 53-55
Manuscript Number : SHISRRJ192611
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192611