शोध की सामाजिक भूमिका

Authors(1) :-मधुमिता ओझा

शोधकार्य से किसी भी समाज या राष्ट्र की प्रगति तय होती है अर्थात् किसी भी राष्ट्र की प्रगति वहां की शोध प्रगति पर निर्भर होती है । शोध एक मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करने एवं राष्ट्र को निरंतर विकसित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । शोध न केवल बेहतर तरीके से सीखने का तरीका सीखाता है, बल्कि नए तरीके भी इज़ाद करता है ।

Authors and Affiliations

मधुमिता ओझा
शोधार्थी, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता,भारत।

शोध‚ सामाजिक‚ समाज, राष्ट्र, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक।

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Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020
Date of Publication : 2020-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 152-154
Manuscript Number : SHISRRJ192659
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

मधुमिता ओझा , "शोध की सामाजिक भूमिका ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 1, pp.152-154, January-February.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192659

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