Manuscript Number : SHISRRJ192663
वेद व वेदेतर ग्रन्थों में “सृष्टि-प्रक्रिया” की अवधारणा
Authors(1) :-डॉ. अश्विनी कुमार सृष्टि-प्रक्रिया विषयक तथ्य सम्पूर्ण वैदिक वाङ्मय तथा इस वैदिक वाङ्मय के इतर ग्रन्थों में भी प्राय: प्राप्त होते हैं, जिसमें इन ब्रह्माण्ड की अनसुलझी पहेलियों को अत्यन्त रोचक व रमणीय ढंग से प्रस्तुत कर समझाने का प्रयास किया गया है कि इस जगत् के प्रादुर्भूत के समय क्या स्थिति-परिस्थिति उत्पन्न हुई होगी । वैदिक वाङ्मय के अन्तर्गत सर्वप्रथम हमे ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के प्रथम सूक्त के प्रथम मण्डल से सृष्टि विषयक तथ्य प्राप्त होते है तथा साथ ही साथ इस मन्त्र के माध्यम से यह भी ज्ञात होता है कि यज्ञ कर्म के द्वारा ही इस सम्पूर्ण चराचर जगत् का निर्माण हुआ है । इसी प्रकार सृष्टि प्रक्रिया का ज्ञान वैदिक वाङ्मय के अन्तर्गत प्राप्त संहिताओं में अन्य तीन वेद यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद एवं ब्राह्मणों, आरण्यको, उपनिषदों तथा वैदिक वाङ्मय से इतर ग्रन्थों पुराण, दर्शन जैसे ग्रन्थों से भी सृष्टि विषयक तथ्य बहुतायत में उपलब्ध होते हैं । उपरोक्त ग्रन्थों में सृष्टि-विषयक तथ्यों का विवेचन करना ही मेरा अभीष्ट है ।
डॉ. अश्विनी कुमार सृष्टि-जगत्, सृष्टिमीमांसा, संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद, लोक-लोकान्तर, सत्-असत्, त्रिगुणमयी, नास्तिक व आस्तिक सम्प्रदाय, चार्वाक, मूल-प्रकृति, पञ्चतन्मात्राएँ, पञ्चमहाभूत Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019 Article Preview
भूतपूर्व शोधच्छात्र, संस्कृतविभाग, कलासंकाय‚ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी‚ उत्तर प्रदेश‚ भारत।
Date of Publication : 2019-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 127-132
Manuscript Number : SHISRRJ192663
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192663