न्याय-वैशेषिक दर्शन में कारणतावाद

Authors(1) :-डाॅ0 उधम मौर्य

न्याय-वैशेषिक दर्शन कार्य-कारण के सिद्धान्त के रूप में असत्कार्यवाद को मानते हैं। इनके अनुसार कार्य द्रव्य अपने कारण के अतिरिक्त एक नवीन वस्तु है। केवल अपने अवयवों का संघातमात्र नहीं, अपितु एक पृथक प्रारम्भ है। जैसे तन्तु में पट पहले से नहीं रहता है, अपितु उसकी उत्पत्ति होती है। किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि ये कार्य को असत् मानते हैं या असत् से सत् की उत्पत्ति मानते है। अपितु इनका मत है कि जो पहले असत् था या जिसका प्रागभाव था उसकी उत्पत्ति हुई। न्याय-वैशेषिक दर्शन में कारण तीन प्रकार का माना गया है- समवायि, असमवायि और निमित्त कारण। जिस द्रव्य में समवाय-सम्बन्ध से कार्य की उत्पत्ति होती है, वही द्रव्य का समवायी-कारण है। समवायि-कारण में समवेत होकर कार्य की उत्पत्ति होती है और वह कार्य को उत्पन्न करके भी कार्य के साथ-साथ रहता है। समवायि-कारण में प्रत्यासन्न एवं कार्योत्पादन में अवधृत-सामथ्र्य कारण असमवायि कारण होता है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 उधम मौर्य
भूतपूर्व शोधछात्र, दर्शन एवं धर्म विभाग, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी,उत्तर प्रदेश, भारत।

असत्कार्यवाद, सत्कार्यवाद, क्षणिकवाद, संघातमात्र, प्रागभाव, प्रत्यासन्न एवं कार्योत्पादन ।

  1. सेतु- पृष्ठ 92, कारिकावली- 1रु19-22
  2. तर्कसंग्रह- पृष्ठ 37, भाषापरिच्छेद-2 श्लोक-18
  3. वैशेषिक सुत्र-10/2/1
  4. तदा कारण भेदाऽप्यस्ति, घटो हि घटं प्रति न कारणमेकस्यैव पौर्वापर्याभावात्। तर्कभाषा (व्याख्याकार-बद्रीनाथ शुक्ल) पृष्ठ 46
  5. प्रथमे क्षणे घटो यदि चक्षुषा न गृह्यते, तदा को नो हानिः? न हि सगुणोत्पत्तिपेक्षेऽपि निमेषावसरे घटेट गृह्यते- वही- पृष्ठ 47
  6. न प्रथमे क्षणे गुणाश्रयत्वाभावाद् द्रव्यत्वापत्तिः। समवायिकारणं द्रव्यमिति द्रव्य लक्षणयोगात्, योग्यतया गुणाश्रयत्वाच्च, योग्यता च गुणात्यन्ताभावाभवः। वही पृष्ठ 47

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020
Date of Publication : 2020-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 155-159
Manuscript Number : SHISRRJ192670
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 उधम मौर्य, "न्याय-वैशेषिक दर्शन में कारणतावाद", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 1, pp.155-159, January-February.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192670

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