वैदिक शिक्षा-प्रणाली में मानवाधिकार एवं आधुनिक शिक्षा-पद्धति

Authors(1) :-डाॅ. सी. के. झा

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि मानवाधिकारों की व्यवस्था आज की व्यवस्था नहीं है, बल्कि हमारे वेदों में इसकी व्यवस्था थी। मानवाधिकारों एवं कत्र्तव्यों की शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए, जिससे सभी को समान अधिकार प्राप्त हो सके। हमारी गरिमामयी भारतीय संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिनः’’ की भावना सर्वोपरि रही है, जो आन्तरिक गुणों के विकास, पवित्र वेदों के अध्ययन, चिन्तन एवं अनुपालन द्वारा ही सम्भव है।

Authors and Affiliations

डाॅ. सी. के. झा
एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, महाराणा प्रताप नेशनल, कालेज, मुलाना, अम्बाला, (हरियाणा)।

वैदिक, शिक्षा, मानवाधिकार, भारतीय, संस्कृति, वेद, अध्ययन।

  1. सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वेेसंजानानां उपासते।। समानी व आकृतिः समाना हृदयानि वः। समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति।। - ऋग्वेद, 10.191.24
  2. सहृदयं सामनस्यमविद्वेषं कृणोमि वः। अन्यो अन्यमभि हर्यत वत्सं जातमिवाध्न्या।। - अथर्ववेद, 3.30.1
  3. जनं बिभ्रती बहुधा विवाचसं नाना धर्माण पृथिवी यथौकसम् अथर्ववेद, 12.1.45
  4. ऋग्वेद, 3.31.2
  5. गृहान् गच्छ गृह पत्नी यथासः - ऋग्वेद, 10.85.25
  6. वर्धयैनं ज्योतयैनं महते सौभगाय। संशितं चित् संतरं शिशाधि।। - अथर्व 16.1
  7. शं सरस्वती सह धीमिरस्तु। - अथर्व 11.2
  8. भद्रमिच्छन्त ऋषयः तपो दीक्षामुपनिषेदुरग्रे। - अथर्व 41.1
  9. वीरसेन वेदश्रमी, वैदिक सम्पदा, पृ0 - 320
  10. ऋग्वेद, 191.1-4
  11. ऋग्वेद, 10.90. 6-9
  12. उध्र्व ऊषुणो अध्वरस्य होतरग्ने तिष्ठ देवताता यजीयान्। ऋग्वेद, 4.6.1
  13. स चेतयन्मनुष्यो यज्ञ बन्धुः। ऋग्वेद, 4.1.9
  14. अथर्व, 11.5.19
  15. अचारं ग्राह्यति, आचिनोति अर्थान्, आचिनोति बुद्धिमिति वा। निरूक्त, 1.2.3
  16. आचार्यो ब्रह्मचर्येण ब्रह्मचारिणमिच्छते। अथर्व 5.17
  17. अथ यदात्मनां दरिद्रीकृत्येव अहिर्भूत्वा भिक्षते यऽएवास्य मृत्यौ वादस्तमेव तेन परिक्रीणाति तं संस्कृत्यात्मन्धते सऽएन माविशति शतपथ, 11.3.3-5
  18. भीखनलाल आत्रेय, भारतीय नीतिशास्त्र का इतिहास, पृ0 38-39
  19. ऋत´्च सत्य´्चाभीद्वात्तपसोऽध्यजायत। ऋ 190.1
  20. त्वं तपः परितप्याजयः स्वः। ऋग्वेद, 10.167.1
  21. ब्राह्मणस्य तपो ज्ञानम्। मनु0 11.236
  22. ऋग्वेद, 9.63.5
  23. वही, 6.75.14 तथा यजु0 29.51
  24. तत्कृष्मो ब्रह्म वो गृहे संज्ञानं पुरूषेभ्यः। अथर्व 30.4
  25. यजु0 36.18
  26. वही, 36.17
  27. ऋ 19 तथा अथर्व 3.30, 6.64, 74, 94
  28. शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे। ऋ0 7.54.1 भूतस्य जातः पतिरेक आसित्। यजु0 13.4 सर्वा आशा मम मित्रं भवन्तु। अथर्व 15.6
  29. V. Radhakrishnan, science education for the future viveknand kendra patrika, kanyakumari, vol 15, No -2, August 1956, P. 124
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  31. Education in the Manifestation of perfection already in man. swami vivekananda.
  32. It is the through education that the" sub human" and the" in human" in man are slain to enable the' human' in him togive rise to the" super human." prof. K. subramanyam, Indian education. P. 103.

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019
Date of Publication : 2019-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 171-177
Manuscript Number : SHISRRJ192678
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. सी. के. झा, "वैदिक शिक्षा-प्रणाली में मानवाधिकार एवं आधुनिक शिक्षा-पद्धति ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 6, pp.171-177, November-December.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192678

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