Manuscript Number : SHISRRJ192680
भवभूति के नाटकों में स्त्री का स्वरूप
Authors(1) :-इन्दल भवभूति ने स्त्री को केवल भोग्या नहीं माना। वे उनके हृदय की भावनाओं का सूक्ष्मता से अवलोकन करने वाले कवि हैं। स्त्रियों के इतिहास में हुआ अन्याय उन्हें स्वीकार नहीं है। इसके लिए कथावस्तु में भी परिवर्तन करने से नहीं चूकते हैं। उŸाररामचरितम् में रामायण की परित्यक्त सीता को अद्भुत रस का प्रयोग कर सुखान्त बना दिया है। बहुत षोध हुये पर इस विशय का औचिŸय यद्यपि संस्कृत साहित्य में रूपकों की कथा में नारी पात्रों विषेश प्रकाष डाला है और एक सीमा तक उनकी समीक्षा भी प्रस्तुत की है, किन्तु इसका आधुनिक रूप से संस्कृत के रूपकों का सौन्दर्य परक वर्णन किया है। वर्तमान विष्व की अनेक प्रकार की समस्याओं का समाधान संस्कृत साहित्य में है। भवभूति जैसे रचनाकार आज भी वर्तमान समाज के लिए प्रासंगिक हैं। उनके रूपकों में अनेक प्रकार के ऐसे राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मार्ग दर्षन निहित है। जो सम्पूर्ण विष्व के लिए उपयोगी माने जा सकते हैं। समाज मंे लैंगिक समानता की प्रक्रिया से तेजी से चल रही है। भवभूति के रूपकों में स्त्री पात्रों का जो स्वरूप है उसका समीक्षात्मक अध्ययन इस षोध में किया है जिससे भवभूति के सत् सम्बन्धी विचारों को समाज के सामने लाया जाय।
इन्दल भवभूति, स्त्री, नाटक, संस्कृत, सहित्य, रूपक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक। 1,अभिनव भारती अभिनव गुप्त गायकवाड़ ओरियेण्टल सीरीज, बड़ौदा, 1956 Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018 Article Preview
पूर्व षोधच्छात्र, बी0आर0डी0बी0डी0 पी0जी0काॅलेज, आश्रम बरहज, देवरिया, उत्तर प्रदेश,भारत।
2,उत्तररामचरितम् भवभूति चैखम्भा संस्कृत सीरीज, वाराणसी
3,दशरूपकम् धनञ्जय मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी
4,नाट्यषास्त्र भरतमुनि बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी, वाराणसी
5,अभिज्ञानषाकुन्तलम्कालिदास वि0वि0 प्रकाषन, वाराणसी
6,नाट्यदर्पण रामचन्द्र गुणकीर्ति बड़ौदा
7,प्राचीन राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास रतिभानु सिंह नाहर किताब महल, इलाहाबाद
8,भवभूति और उनकी नाट्यकला अयोध्या प्रसाद सिंह
9,संस्कृत साहित्य का इतिहास वाचस्पति गैराला चैखम्भा सुरभारती प्रकाषन, वाराणसी
10,महावीरचरितम्भवभूति चैखम्भा विद्याभवन, वाराणसी
11,मालतीमाधवम् भवभूति चैखम्भा संस्कृत भवन, वाराणसी
12,संस्कृत साहित्य का इतिहास बलदेव उपाध्याय षारदा निकेतन, वाराणसी
13,साहित्य दर्पण (विमलाटीका)गीतानन्द विद्यासागर भट्टाचार्य कलकत्ता प्रकाषन
14,साहित्य दर्पण विष्वनाथ मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी
15,संस्कृत-साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास डाॅ0 कपिलदेव द्विवेदी श्रीरामनारायणलाल विजय कुमार इलाहाबाद
16, उत्तररामचरितम् डाॅ0 कपिलदेव
Date of Publication : 2018-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 141-146
Manuscript Number : SHISRRJ192680
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192680