Manuscript Number : SHISRRJ192681
गरीबी का स्वरूप, उद्देश्य, शोध विधि: एक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ. मनमोहन प्रसाद पाण्डेय राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के यूनीफार्म रिकाॅल पीरिएड आँकड़ों के अनुसार राज्यों में गरीबों की सर्वाधिक संख्या (5.90 करोड़) उत्तर प्रदेश में है, जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में 4.73 करोड़ व शहरी क्षेत्रों में 1.17 करोड़ गरीब (2004-05) पाये गये। वहीं दूसरे स्थान में बिहार में 3.69 करोड़ (ग्रामीण क्षेत्रों में 3.37 व शहरी क्षेत्रों मे 0.32 करोड़) गरीब पाये गए हैं। गरीबों की निरपेक्ष संख्या छत्तीसगढ़ में 90.96 लाख, हरियाणा में 32 लाख व पंजाब में 21.63 लाख आकलित किया गया। गरीबों की निरपेक्ष संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश का स्थान जहाँ सबसे ऊपर है, वहीं गरीब अनुपात के मामले में (कुल जनसंख्या में निर्धनों की जनसंख्या के मामले में) उड़ीसा का स्थान सर्वोच्च है। उड़ीसा में 46.4 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। बिहार में 41.4 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 40.9 प्रतिशत, झारखण्ड में 40.3 प्रतिशत व उत्तर प्रदेश में 32.8 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है। गरीबी रेखा के नीचे गरीबी अनुपात वाले राज्यों में असम (19.7 प्रतिशत), केरल (15 प्रतिशत), दिल्ली (14.7 प्रतिशत), हरियाणा (14 प्रतिशत), गोवा (13.8 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (10 प्रतिशत), पंजाब (8.4 प्रतिशत), व जम्मू कश्मीर (5.4 प्रतिशत), अवरोही क्रम में शामिल हैं। वर्षो से आतंकवाद से जूझ रहेे जम्मू-कश्मीर में निर्धनता अनुपात सबसे कम आँकी गयी।
डाॅ. मनमोहन प्रसाद पाण्डेय भवभूति, स्त्री, नाटक, संस्कृत, सहित्य, रूपक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक। 1- नगरीय गरीबी की प्रकृति, एच0एन0 कोठारी, विकास पब्लिकेशन, जयपुर, 1993, पृष्ठ-8। 2- नगरीय गरीबी की प्रकृति, एच0एन0 कोठारी, विकास पब्लिकेशन, जयपुर,, 1993, पृष्ठ-58। 3- समाजशास्त्र के सिद्धान्त, डी0आर0 सचदेव. किताब महल, इलाहाबाद, 1993, पृष्ठ-796। 4- भारतीय अर्थव्यवस्था, एस0के0 मिश्र एण्ड वी0के0 पुरी, हिमालया पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, 2009, पृष्ठ-197। 5- ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक संरचना, प्रो0 प्रभा चावला, नई दिल्ली, 1991, पृष्ठ-82। 6- ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक संरचना, प्रो0 प्रभा चावला, नई दिल्ली, 1991, पृष्ठ-82-83। 7- ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक संरचना, प्रो0 प्रभा चावला, नई दिल्ली, 1991, पृष्ठ-84। 8- ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक संरचना, प्रो0 प्रभा चावला, नई दिल्ली, 1991, पृष्ठ-90-91। 9- बी0पी0एल0 सर्वे 2004, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार। 10- पावर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल्स इण्डिया, दादा भाई नैरोजी, 1901, लन्दन, पृष्ठ-1। 11- भारत का आर्थिक इतिहास (1600-1800), आर0के0 मुखर्जी, लन्दन, 1948, पृष्ठ-54। 12- भारत में उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद, डा0 सत्या राय, दिल्ली विश्वविद्यालय, 1962, पृष्ठ-2। 13- मानव विकास प्रतिवेदन, 2006, राज्य नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, पृष्ठ-1-2। 14- मानव विकास प्रतिवेदन, 2006, राज्य नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, पृष्ठ संख्या-68-69। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018 Article Preview
भूतपूर्व शोध छात्र, वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद,उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2018-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 147-161
Manuscript Number : SHISRRJ192681
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192681