Manuscript Number : SHISRRJ192683
प्रेमचंद की कहानियों में नारी जीवन की समस्याएं और नवजागरण
Authors(1) :-डॉ. अनीता मिंज प्रेमचंद का कथा साहित्य भारतीय जनमानस की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं पर एक व्यापक दृष्टिकोण को लेकर रचा गया है। प्रेमचंद अपनी कहानियों में समाज की मूक जनता के साथ-साथ हाशिए पर खड़ी नारी समस्याओं पर केवल चर्चा नहीं करते अपितु नारी मुक्ति की भी बात करते हैं। प्रेमचंद ‘नारी अस्मिता’ के लिए नारियों को स्वयं जागृत होने की सलाह देते हैं। प्रेमचंद नारी जागरण की अलख जगाने के लिए घर-घर की नारियों का आह्वान करते हैं। जिसमें कोई सामाजिक विभेद नहीं दिखाई पड़ता। वर्षों पहले अपने साहित्य द्वारा प्रेमचंद ने नारी अस्मिता और मूल्यों के लिए जो संघर्ष किया वह नवजागरण के इतिहास में बहुत बड़ा योगदान है। यही कारण है कि आज भी प्रेमचंद का 'स्त्री विमर्श' प्रासंगिक बना हुआ है।
डॉ. अनीता मिंज नवजागरण, दहेज प्रथा, अनमेल विवाह, विधवा की त्रासदी, वेश्या जीवन, नारी शिक्षा, पर्दा प्रथा, नारी और नवजागरण के प्रश्न । Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, दौलत राम महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, भारत।
Date of Publication : 2018-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 162-168
Manuscript Number : SHISRRJ192683
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192683