Manuscript Number : SHISRRJ192684
समकालीन कला: एक समीक्षात्मक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ. संतोष बिंद ‘आधुनिक कला समीक्षकों ने बहुधा एक आशंका व्यक्त की है कि आधुनिकता के निरन्तर बढ़ने प्रभाव से लोक कलाएँ टूटने की स्थिति में है। इस सन्दर्भ मंे दो तथ्य बिल्कुल स्पष्ट है, पहला यह कि लोककला में अद्भुत जीवनीशक्ति होती है इसी से वह अतीत के इतिहास में टिकी रहती है और आज तक जीवित है और दूसरा यह कि उसका मानव मन से सहज रिश्ता है तथा लोक ‘जीवन से अभिन्नता’ का, मेरी समझ में ये दोनों शक्तियाँ इतनी अमिट है कि लोक कलाओं के विनष्ट होने का खतरा एक कल्पना सी लगती है जब तक लोक है, लोक संस्कृति है और लोकमूल्य है।
डाॅ. संतोष बिंद समकालीन, कला, आधुनिक, इतिहास,मानव, शिल्प, लोक,संस्कृति। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018 Article Preview
प्रवक्ता, राजकीय बालिका इंटर काॅलेज, हुसैनगंज, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2018-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 169-174
Manuscript Number : SHISRRJ192684
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192684