Manuscript Number : SHISRRJ192686
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत चीन सम्बद्ध
Authors(1) :-डाॅ विकास चन्द्र वशिष्ठ चीन के प्रति भारत का दृष्टिकोण प्रारम्भ से ही मित्रापूर्ण रहा है। हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से ही पण्डित जवाहर लाल नेहरू भारत और चीन की मित्रता पर बल दिया साम्यवादी चीन ने भारत के प्रति अपना विचार सही नहीं रखा
और साम्यवादी चीन सन् 1942 में च्यांग काई शेक ने भारत की यात्रा की जिससे भारत में चीन के जापानी साम्राज्यवाद के विरूद्व संघर्ष के प्रति सहानुभूति की एक लहर फैल गयी चीन में साम्यवादी दल के विजय के बाद भारत-चीन सम्बन्ध और घनिष्ट हो गये। अक्टूबर 1942 में चीन में साम्यवादी क्रान्ति का भारत में स्वागत किया। गैरदृसाम्यवादी क्रान्ति का भारत में स्वागत किया। गैरदृसाम्यवादी देशों में भारत ही ऐसा पहला देश था। जिसने चीन को राजनयिक मान्यता प्रदान की संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत ने उस प्रस्ताव का विरोध किया जिसमें चीन को आकृर्षित घोषित किया गया था। भारत ने अमेरिका की उन नीतियों की आलोचना , की जो चीन को अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों या सभ्यताओं में उचित स्थान दिलाने में बाधा प्रस्तुत की थी। सन् 1954-57 का काल भारत-चीन सम्बन्धीमें प्रमोद काल कहलाया है। 29 जून 1954 को दोनों राष्ट्रों के मध्य एक 8 वर्षीय व्यापारिक समझौता हुआ जिसके अन्तर्गत भारत ने तिब्बत से अपने से अतिरिक्त देशीय अधिकारों को चीन को सौंप दिया। इस व्यापारिक समझौते की प्रस्तावना में ही पंचशील के सिद्वान्तों की रचना की गयी थी। भारत ने तीव्र तिब्बत में चीन की प्रभुसत्ता को स्वीकार कर लिया 1954 अक्टूबर में पंडित नेहरू ने भी चीन की यात्रा की अप्रैल 1955 में माण्डुत्र सम्मेलन में नेहरू और चाऊ एन-लाई ने पूर्ण सहयोग के साथ कार्य किया।
डाॅ विकास चन्द्र वशिष्ठ Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018 Article Preview
एसो, प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मेरठ काॅलिज, मेरठ, भारत।
Date of Publication : 2018-11-30
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Page(s) : 180-188
Manuscript Number : SHISRRJ192686
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192686