Manuscript Number : SHISRRJ192687
महाकाव्यों में नारी उत्पीडन
Authors(1) :-डाॅ॰ उमा शर्मा नृ$अञ् ङीन् के योग से निष्पन्न नारी शब्द के अमरकोष में एक श्लोक के माध्यम से निम्नवत् पर्यायवाची उपलब्ध होते हैं यथा -
स्त्री योषिदबला योषा नारी सीमन्तिनी वधूः
प्रतीपदर्शिनी वामा वनिता महिला तथा।।
लोक में धन शक्ति विद्या की अधिष्ठात्री देवता के रूप में जिस प्रकार लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती आदि प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार वैदिक देवता भी विविध शक्तियों की अधिष्ठात्री हैं मारकण्डेय पुराण के अनुसार असुरों के संहारार्थ देवताओं की शक्ति का समुच्चय देहधारिणी देवी के रूप में ही प्रकट होता है किंतु साथ ही यह भी ध्यातव्य है कि रामायण और महाभारत जैसे प्रमुख इतिहास महाकाव्यों में जो महायुद्ध हुए हैं वे नारी के अपमान रूपी उत्पीडन के कारण ही हुए हैं। इनके उत्तरवर्ती ग्रंथ जिनके ये प्रेरणा स्रोत रहे हैं, उनमें भी स्त्री उत्पीडन के यत्र -तत्र उदाहरण दृष्टिगत होते हैं आज भी विश्ववरेण्या भारतीय संस्कृति के विटप को पुष्पित और पल्लवित रखने के लिए नारी सम्मान अपेक्षित है जिससे नारी की स्थिति दृढप्रतिष्ठित हो सके।
डाॅ॰ उमा शर्मा यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, समुच्चय, उत्पीडन, आचरण ,भयत्रस्ता ,लब्धख्याति, प्रचंडदर्शना, अंगुलिगण्य, उपनिषद्। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर, नानक चन्द ऐंग्लो संस्कृत काॅलेज़, मेरठ,उत्तर प्रदेश।, भारत।
Date of Publication : 2018-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 189-195
Manuscript Number : SHISRRJ192687
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192687