“जानकीहरणम्’’ महाकाव्य का शास्त्रीय अध्ययन

Authors(1) :-डाॅ. गिरीश प्रसाद मिश्र

महाकवि कुमारदास ने ‘‘जानकीहरणम्’’ में राम के रावण युद्ध, विजयोपरान्त अयोध्या प्रत्यागमन के वर्णन में ‘निर्वहण सन्धि का प्रयोग स्पष्टतः काव्यशास्त्रीय नियमानुकूल प्रदर्शित किया है।

Authors and Affiliations

डाॅ. गिरीश प्रसाद मिश्र
सुभाष नगर, सैनी, सिराथू, कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश, भारत।

जानकीहरणम्, महाकाव्य, शास्त्रीय, कुमारदास, रावण, राम, सर्ग।

  1. काव्यादर्श 1/14-19
  2. काव्यालंकार- 16/17-19
  3. जानकीहरणम् 1/47-52, 14/11-44
  4. जानकारीहरणम् 1/47-52, 14!11-44
  5. वही, 3/1-14, 11/40-95
  6. वही 12/2-4, 14/20
  7. वही 20/10, 17/22, 1/1-11, 90
  8. वही 20/10, 17/22, 1/1-11, 90
  9. वही, 6/18-30, 1/53-62/69-72
  10. वही, 6/18-30, 1/53-62/69-72
  11. वही, 3/15-49 तथा 8/1-53 इ0सं0।
  12. वही, 3/15-49 तथा 8/1-53 इ0सं0।
  13. वही, 16/28-68 तथा 9/12-22
  14. वही, 16/28-68 तथा 9/12-22
  15. वही, 20/1-16
  16. वही, 8/55-72, 16/1-20
  17. अर्थप्रकृतयः पंच पंचावस्थासमन्विताः। यथासंख्येन जायन्ते मुखाद्याः पंचसन्धयः।। आचार्य धनंजय दशरूपक प्र0प्र0 22
  18. मुख्यं बीज समुत्पत्तिर्नानार्थ रससम्भवाः दशरूपक प्र0प्र0 24
  19. लक्ष्यालक्ष्यतयोद्भेदेस्तस्य प्रतिमुखं भवेत्। आचार्य धनंजय दशरूपक प्र0प्र0 30
  20. गर्भस्तु दृष्टनष्टस्य बीजस्यान्वेषण मुहुः। वही, प्र0प्र0 36
  21. क्रोधेनावमृशेद्यत्र व्यसनाद्य वा विलोभनात्।
  22. गर्भनिर्भिन्नबीजार्थः सोऽवमर्शः इति स्मृतः। वही, प्र0प्र0 43
  23. बीजवन्तो मुखाद्यार्था विप्रकीर्णा यथायथम्। ऐकाथ्र्यमुपनीयन्ते यत्र निर्वहणं हि तत्। आचार्य धनंजय दशरूपक प्र0प्र0 48।

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 251-253
Manuscript Number : SHISRRJ192691
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. गिरीश प्रसाद मिश्र, "“जानकीहरणम्’’ महाकाव्य का शास्त्रीय अध्ययन ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 4, pp.251-253, November-December.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192691

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