स्वामी विवेकानन्द का शैक्षिक चिन्तन एवं मानव निर्माणकारी शिक्षा

Authors(1) :-डाॅ0 सीमा मिश्रा

बहुआयामी प्रतिभा के धनी, अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध आध्यात्मिक संत, युवाओं के ऊर्जा के अजस्र स्रोत, राष्ट्र के नवनिर्माण हेतु विशुद्ध अन्तःकरण से दृढ़ एवं मानव कल्याणोंमुखी दर्शन के प्रचारक स्वामी विवेकानन्द जी का शिक्षा दर्शन अद्वैतवाद से अनुप्राणित है। अद्वैतवेदान्त के अनुसार आत्मा शाश्वत् और सर्वव्यापी है तथा प्रत्येक जीव में ईश्वरीय सत्ता विद्यमान है। स्वामी जी का मानना था कि मनुष्य के अन्दर की आत्मा निराकार, सर्वशक्तिमान एवं सर्वत्र है इसलिए मनुष्य अपने में अनन्त ज्ञान एवं अनन्त शक्ति का स्रोत है परन्तु माया द्वारा निर्मित मानव शरीर में सर्वशक्तिमान आत्मा जीवात्मा के रूप में संकुचित हो जाती है और मनुष्य अपने अनन्त ज्ञान एवं अनन्त शक्ति को पहचान नहीं पाता। इस मायारूपी परदे के हटते ही मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान जाता है और आत्मज्ञानी हो जाता है जिसे स्वामी जी ने आत्मानुभूति करना कहा है। वे मानव के समग्र विकास के लिए वेदान्तयुक्त आधुनिक ज्ञान विज्ञान की शिक्षा व्यवस्था का क्रियान्वयन चाहते थे। राष्ट्र को निर्धनता एवं अज्ञानता से मुक्ति दिलाने, दीन दुःखियों के उद्वार हेतु ऐसी शिक्षा चाहते थे जो जीवन का निर्माण करने वाली चरित्र का गठन करने वाली तथा मानव का निर्माण करने वाली हो।

Authors and Affiliations

डाॅ0 सीमा मिश्रा
असिस्टेंट प्रोफेसर, कमला नेहरू पी.जी. काॅलेज, तेजगांव, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत।

स्वामी विवेकानन्द, शैक्षिक, चिन्तन, मानव, निर्माणकारी, शिक्षा, आत्मानुभूति, अद्वैतवाद।

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Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 254-257
Manuscript Number : SHISRRJ192692
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 सीमा मिश्रा, "स्वामी विवेकानन्द का शैक्षिक चिन्तन एवं मानव निर्माणकारी शिक्षा", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 4, pp.254-257, November-December.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192692

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