नागार्जुन के काव्य में राजनैतिक चेतना

Authors(1) :-हरिकेश मीना

नागार्जुन सम्पूर्ण रूप से शोषण के खिलाफ संघर्श के लिए समर्पित रहे हैं। इसलिए देश की कोई भी सामाजिक व राजनीतिक घटना उनकी कविताओं से नहीं बच सकी हैं। इनकी कविताओं में भोगा हुआ दर्द हैं, सच्चा आक्रोंश हैं। इनकी कवितायें आम आदमी के जीवन का जीबन्त दस्तावेज हैं। उनकी कविताओं में व्यंग्य, आक्रोश एवं बेचैनी दिखाई देती हैं। उनकी कवितायें आम आदमी के लिए लिखी गई हैं इसलिए उन्हें जनवादी कवि कहा जाता हैं।

Authors and Affiliations

हरिकेश मीना
राजकीय कन्या महाविद्यालय, करौली, राजस्थान, भारत।

नागार्जुन, काव्य, राजनैतिक, चेतना, सामाजिक, आर्थिक, यथार्थ, समाज।

  1. द्वारिका प्रसाद सक्सेना- हिन्दी के आधुनिक प्रतिनिधि कवि, विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा, पृश्ठ, 477
  2. त्रिभुवनसिंह- आधुनिक साहित्यिक निबंध, तृतीय संशोधित संस्करण, 1998, पृश्ठ, 400
  3. नागार्जुन- युगधारा, पृश्ठ, 25
  4. नामवरसिंह- नागार्जुन की प्रतिनिधि कवितायें (शासन की बन्दूक), संस्करण, 2009, पृश्ठ, 105
  5. नागार्जुन- क्या हुआ आपको, पृश्ठ, 20
  6. नागार्जुन-प्रजातंत्र की होम
  7. नागार्जुन- अब तो बन्द करों देवि चुनाव का प्रहसन
  8. नागार्जुन- रचनावली-2 पृश्ठ, 465
  9. सत्यनारायण नागार्जुनः कवि और कथाकार

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 258-261
Manuscript Number : SHISRRJ192693
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

हरिकेश मीना, "नागार्जुन के काव्य में राजनैतिक चेतना ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 4, pp.258-261, November-December.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192693

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