Manuscript Number : SHISRRJ193313
संस्कृत वाङ्मय में वैज्ञानिक संचेतना: साहित्य के परिप्रेक्ष्य में बौद्ध कालीन: काशी, वाराणसी, सारनाथ
Authors(1) :-वर्तिका मिश्रा वास्तव में संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। जिस प्रकार माँ में उदारीकरण की प्रवृत्ति होती है, उसी प्रकार संस्कृत ने विश्व के प्रत्येक ज्ञान को अपने अंग में समेट कर पोषित व संवर्द्धित किया है। निःसंशय, संस्कृत-वाङ्मय वैज्ञानिक संचेतना का आदि-संवाहक रहा है व वर्तमान तथा भविष्य में भी रहेगा।14 किन्तु साहित्य ने विज्ञान के इस जटिल स्वरूप को सहजता व सरलता के आवरण से आवृत्त कर आकर्षक व बोधगम्य ही बनाया है।
वर्तिका मिश्रा विज्ञान, चुम्बकीय-शक्ति, अवितत्त्व, वास्तु-विज्ञान, पुरीष्य अग्नि, सौर ऊर्जा। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
यूजीसी नेट जेआरएफ, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज।,भारत
Date of Publication : 2019-05-30
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Page(s) : 25-29
Manuscript Number : SHISRRJ193313
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ193313