Manuscript Number : SHISRRJ193317
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल व डाॅ0 रामविलास शर्मा की दृष्टि में हिन्दी गद्य का विकास
Authors(1) :-डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र वैसे तो शुक्ल जी कोई भाषा शास़्त्री न थे फिर भी भाषा के बोलचाल के रूप पर उन्होने अपनी दृष्टि रखी तथा जगह-जगह अपनी भाषा सम्बन्धी दृष्टि प्रकट की। ब्रज भाषा ही पहले गद्य की भी अभिव्यक्ति का माध्यम थी, साहित्य की रचना अधिकांशतः पद्य में ही होती थी- ’’अतः भगवान का यह भी एक अनुग्रह समझना चाहिए कि यह भाषा विप्लव नही संगठित हुआ और खड़ी बोली जो कभी अलग और कभी ब्रज भाषा की गोद में हुआ और दिखाई पड़ जाती थी धीरे-धीरे व्यवहार की और शिष्ट भाषा होकर गद्य के नये मैदान में दौड़ पड़ी।’’1 जिस समय गद्य के लिए खड़ी बोली उठ खडी हुई उस समय तक गद्य का विकास नही हुआ था। उसका कोई साहित्य नहीं खड़ा था।’’2 देश के प्रचार के साथ ही दिल्ली की खडी बोली शिष्ट समुदाय के परस्पर व्यवहार की भाषा हो चली थी।
डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, डाॅ0 रामविलास शर्मा, हिन्दी, गद्य। 1. हिन्दी साहित्य इतिहास, अशोक प्रकाशन (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल), पृ0 243 Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, मर्यादा देवी कन्या पी0 जी0 कालेज, बिरगापुर, हनुमानगंज, प्रयागराज, उŸार प्रदेश,भारत।
2. वही पृ0 243
3. वही पृ0 244
4. वही पृ0 244
5. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (डाॅ0 रामविलास शर्मा), पृ0 137
6. वही पृ0 133
7. वही पृ0 134
8. पत्रिका, आलोचना त्रैमासिक, सहस्त्राब्दी अंक-5, अप्रैल-जून 2001 (लेखः भगवान सिंह), पृ0 231
9. वही, बोएज के कथन से पृ0 231
10. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (डाॅ0 रामविलास शर्मा), पृ0 235
11. हिन्दी साहित्य इतिहास, अशोक प्रकाशन (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल), पृ0 244
12. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (डाॅ0 रामविलास शर्मा), पृ0 136
13. वही पृ0 136
14. वही पृ0 136
15. वही पृ0 137
16. हिन्दी साहित्य इतिहास, अशोक प्रकाशन (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल), पृ0 306
17. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (डाॅ0 रामविलास शर्मा), पृ0 141
18. वही पृ0 141
19. वही पृ0 143
Date of Publication : 2019-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 218-222
Manuscript Number : SHISRRJ193317
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ193317