ज्योतिषशास्त्रप्रयोजन-विमर्श:

Authors(1) :-डॉ॰ व्रजेश कुमार मिश्रः

"ज्योतिषाययनं चक्षुरिति" पाणिनीय- शिक्षायां ज्योतिषशास्त्रस्य प्रयोजनं प्रतिपादितं विद्यते। ज्योतिषं प्रत्यक्षं वैज्ञानिकञ्च शास्त्रं लोकोपकारको विद्यते। ज्योतिषाशास्त्रस्य महत्त्वं सर्वै: स्वीक्रियन्ते।

Authors and Affiliations

डॉ॰ व्रजेश कुमार मिश्रः
ग्रामः- तुमौल, पत्रालयः- पुतइ, मण्डलम्- दरभंगा, भारत।

वैदिकवाङ्मय:, चक्षु:, वेदपुरुष:, ज्योतिषशास्त्रम्, धर्ममूलम्, पितामह:, श्री जन्मपत्री, ज्योतिर्विद:।

  1. नारसंहिता संकलितम् (कृष्णदत्त झा) पृं.सं.2-31
  2. यजुर्वेद ज्योतिव॰ श्लो. - 31
  3. गीता- 8.18
  4.  मनुस्मृति- 2.6
  5. श्लोकवार्तिक- प्रतिज्ञा सू॰ श्लो. -7
  6. ञग्भाष्य भूमिका सायंकाष्यम्।
  7. सिद्धा॰ शि॰ क॰ मा॰ अ॰ श्लो॰- 10
  8. तथैव, श्लोक- 11
  9. गणकतत्गि, पृ॰-1
  10. लघुजातक अ॰ 1 श्लो-3
  11. तत्रैव।
  12. संकलितम्।
  13. लघुजातकम्- 1/5
  14. सारावली- 2/5
  15. संकलि॰ नवनी पृ॰ -26
  16. मानसागरी अ॰ 1 श्लो॰ 21
  17. मानसागरी अ॰ 1 श्लो॰ 12

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019
Date of Publication : 2019-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 247-251
Manuscript Number : SHISRRJ193321
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ॰ व्रजेश कुमार मिश्रः, "ज्योतिषशास्त्रप्रयोजन-विमर्श:", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 1, pp.247-251, January-February.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ193321

Article Preview