Manuscript Number : SHISRRJ193325
मध्य कालीन बिहार में दास प्रथाः एक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ0 रामलखन सिंह प्राचीन काल से दास प्रथा की परम्परा मध्यकाल में जारी रही। लेकिन इस काल में हमें कई परिवर्तन देखने को मिलते है। सर्वप्रथम दासों की संख्या में अधिक वृद्धि हुई। दूसरा दासत्व सबके लिए निर्दिष्ट हो गया। जबकि कौटिल्य ने आर्यो को दास बनाने का विरोध किया है। तीसरा मौर्य काल की तरह दासों को आर्थिक क्रियाकलापों में शामिल नहीं किया गया। इस काल में दास घरेलू और निजी सेवा से अधिकाधिक संबध रहंे। चतुर्थ यधपि दासों के साथ उचित व्यवहार के कुछ प्रमाण मिलते है, लेकिन इसे अपवादों के रूप में ही देखा जा सकता हैं । सामान्य रूप से दासों के साथ अर्ध मानवीय व्यवहार होता रहा। मुसलमानों की सत्ता सुव्यवस्थित होने बाद दासों की स्थिति में बेहतरी के कुछ संकेत मिलने शुरू हो जाते हैं।
डाॅ0 रामलखन सिंह दास प्रथा, मुसलमान, कौटिल्य, मध्यकाल, प्राचीन काल, सामंतवादी आर्थिक। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
पूर्व शोध छात्र, इतिहास विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना, बिहार, भारत।
Date of Publication : 2019-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 288-292
Manuscript Number : SHISRRJ193325
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ193325