संताली भाषा साहित्य

Authors(1) :-डॉ. धनेश्वर मांझी

‘‘संतालों का उद्भव और विकास के सम्बन्ध में कहा जाता है कि संतालों का जन्म ‘हिहिड़ी-पिपिड़ी‘ देश में हुआ है। इनकी पौरानिक लोक कथाओं के अनुसार ‘हिहिड़ी-पिपिड़ी‘ में मानव के पूर्वज पिलचू हड़ाम एंव पिलचू बुड़ही का जन्म स्थल है।‘‘1 संताल की आदि खेरवाड़, खेरवाड़ की आदि होड, प्रजाति आदि मानव देवी ठाकरान देवता ठाकर के द्वारा हुई है। आकाश लोक में ठाकरान के द्वारा दायें एंव बांयेहांस की हड्डी से दो हांस हांसिन बनायी गयी थी। जोदायेंहांस की हाड्डी से बने थे वे मादा हुए और जोबांये हांस की हड्डी से बने थे वे नर हुए। एक हांस एंवएक हांसिन (हांसली) में ठाकरान के जिद करने परठाकुर जी ने हांस हांसिन में फूंक (ऑड.) कर प्राण भारदिये। हांस हासिन दोनों आकाश लोक में उडने लगे एवजलाकार समंदर के बीच में बैठते, तैरते। हांस हासिन केदो अण्डे से दो बच्चे, संताल (होड, खेरवाड) आदि मानव(मानमी) पिलचू हाडाम एवं पिलचू बुड़ही की उत्पति हुई। इन दोनों के सात लडके एंव सात लडकियां पैदा हुई। इनलोगों को इन लोगो के बीच विवाह सूत्र में बंघते हैं औरसात गोत्र हुई। बाद में किसी कारणवश और पांच गोत्रोंका निर्माण हुआ।। कुल मिलाकर बारह गोत्र से संतालजाति, समाज, संस्कार संचालित होती है।

Authors and Affiliations

डॉ. धनेश्वर मांझी
सहायक प्रोफेसर, संताली विभाग, भाषा भवन, विश्वभारती, शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल।

'मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज में रहने के नाते उसे आपस में सर्वदा ही विचार-विनिमय करना पड़ता है। कभी वह शब्दों या वाक्यों द्वारा अपने आपको प्रकट करता है तो कभी सिर हिलाने से उसका काम चल जाता है।'2 संताली भाषा संतालों की मातृभाषा है।क्ंजं ैमबनतपजलण्

  1. टुडू, डाॅ. कृष्ण चन्द्र, सानताड़ी होड़ साॅंवहेंत, संताली लोक साहित्य, संतालों का उद्भव और विकास, पृ.-1
  2. तिवारी, डाॅ. भोलानाथ, भाषा विज्ञान, प्रवेश, पृ.-1
  3. टुडू, डाॅ. कृष्ण चन्द्र, सानताड़ी साॅंवहेंत रेनाः ओमोनोम आर हारा, संताली साहित्य के उद्भव और विकास, संताली साहित्य का परिचय, पृ.-1
  4. अंसारी, डाॅं. परवीन निजा़म, लोक साहित्य के विविध आयाम, लोक साहित्य की परिभाषा तथा विशेषताएॅं, पृ.-7

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019
Date of Publication : 2019-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 347-351
Manuscript Number : SHISRRJ193352
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. धनेश्वर मांझी, "संताली भाषा साहित्य ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 1, pp.347-351, January-February.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ193352

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