'कितने शहरों में कितनी बार' का प्रतिपाद्य

Authors(1) :-बर्णाली गोगोई

'कितने शहरों में कितनी बार' में ममता कालिया ने अपने अतीत के बारे में लिखा है। अतीत में जो भी घटनाएँ घटी थी लेखिका ने उनको याद करके लिखा है। ममता जी ने इस संस्मरण में उन शहरों के बारे में लिखा है जहाँ-जहाँ वह गई और रही। यहाँ लेखिका ने समाज की वर्तमान समस्याओं का यथार्थ चित्रण किया है। उन्होंने समाज में फैली भ्रष्टाचार, नारी शोषण, साम्प्रदायिकता, गरीबी आदि अनेक समस्याओं को दिखाया है। साथ ही राजनीतिक, सांस्कृतिक पक्ष का भी चित्रण किया है।

Authors and Affiliations

बर्णाली गोगोई
एम.फिल. छात्रा, हिंदी विभाग, राजीव गांधी विश्वविद्यालय, रोनो हिल्स, टानगर, अरुणाचल प्रदेश,भारत

साप्रदायिकता, राजनीति, सामाजिक, वर्तमान, गरीबी, भ्रष्टाचार, स्त्री चेतना, लोकगीत, मिथक, त्योहार आदि

  1. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 11
  2. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 27
  3. वही, पृष्ठ – 20
  4. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 42
  5. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 11
  6. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 25
  7. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 136
  8. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 144
  9. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 144
  10. वही, पृष्ठ – 18
  11. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 54-55
  12. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 37
  13. कितने शहरों में कितनी बार, ममता कालिया, पृष्ठ – 50
  14. वही, पृष्ठ – 16

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019
Date of Publication : 2019-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 168-175
Manuscript Number : SHISRRJ19337
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

बर्णाली गोगोई, "'कितने शहरों में कितनी बार' का प्रतिपाद्य", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 2, pp.168-175, March-April.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19337

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