पाश की कविता में सामाजिक चेतना

Authors(1) :-डॉ अर्चना त्रिपाठी

पाश की अधिकांश कविताएँ सच्चाई और बगावत का ऐलान करती हैं और शोषक वर्गों को एक चुनौती देती हैं कि उनकी पराजय निश्चित है, हर तरह के अत्याचार न उनकी पराजय को रोक सकते हैं और न ही क्रांति की संभावना को मिटा सकते हैं। ’सच’ कविता में वे घोषणा करते हैं कि शोषक वर्ग इस सच को स्वीकार करे, न करे, लेकिन अब संघर्ष का सच युग-सत्य बन रहा है। ’समय कोई कुत्ता नहीं’ कविता में वे कहते हैं कि वे जेल में बंद होकर भी आज़ाद हैं, जबकि यह पहरेदार सदियों से बाहर रहकर भी कैद है।

Authors and Affiliations

डॉ अर्चना त्रिपाठी
असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय।

पाश, कविता, सामाजिक, संघर्ष, मनुष्य|

  1. हबीब जालिब ,समकालीन जनमत पृ0सं0- 41
  2. अवतार सिंह पाश ”संपूर्ण कविता” पृ0सं0- 37
  3. अवतार सिंह पाश "लहू है कि तब भी गाता है।"
  4. अवतार सिंह पाश "लहू है कि तब भी गाता है।”
  5. अवतार सिंह पाश "लहू है कि तब भी गाता है।” पृ0सं0-152
  6. अवतार सिंह पाश “बीच का रास्ता नहीं होता पृ0सं0-101
  7. अवतार सिंह पाश “लहू है फिर भी गाता है” पृ0सं0-149
  8. वहीं पृ0सं0-115
  9. अवतार सिंह पाश ”संपूर्ण कविता” पृ0सं0- 198 -199
  10. वहीं पृ0सं0-77
  11. अवतार सिंह पाश “वर्त्तमान के रुबरु” पृ0सं0-87
  12. अवतार सिंह पाश ”संपूर्ण कविता” पृ0सं0- 241
  13. अवतार सिंह पाश “लहू है फिर भी गाता है” पृ0सं0-60
  14. अवतार सिंह पाश “बीच का रास्ता नहीं होता” पृ0सं0-162
  15. डाँ अमरनाथ, हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली , पृ0सं0-225-226
  16. अवतार सिंह पाश “लहू है फिर भी गाता है” पृ0सं0-110
  17. अवतार सिंह पाश ”संपूर्ण कविता” पृ0सं0- 200
  18. पल-प्रतिपल ,अक्टू-1997,पृ0 सं0 161
  19. अवतार सिंह पाश “बीच का रास्ता नहीं होता” पृ0सं0-166

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 332-339
Manuscript Number : SHISRRJ203103
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ अर्चना त्रिपाठी, "पाश की कविता में सामाजिक चेतना ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 5, pp.332-339, September-October.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203103

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