Manuscript Number : SHISRRJ203103
पाश की कविता में सामाजिक चेतना
Authors(1) :-डॉ अर्चना त्रिपाठी पाश की अधिकांश कविताएँ सच्चाई और बगावत का ऐलान करती हैं और शोषक वर्गों को एक चुनौती देती हैं कि उनकी पराजय निश्चित है, हर तरह के अत्याचार न उनकी पराजय को रोक सकते हैं और न ही क्रांति की संभावना को मिटा सकते हैं। ’सच’ कविता में वे घोषणा करते हैं कि शोषक वर्ग इस सच को स्वीकार करे, न करे, लेकिन अब संघर्ष का सच युग-सत्य बन रहा है। ’समय कोई कुत्ता नहीं’ कविता में वे कहते हैं कि वे जेल में बंद होकर भी आज़ाद हैं, जबकि यह पहरेदार सदियों से बाहर रहकर भी कैद है।
डॉ अर्चना त्रिपाठी पाश, कविता, सामाजिक, संघर्ष, मनुष्य| Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय।
Date of Publication : 2020-09-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 332-339
Manuscript Number : SHISRRJ203103
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203103