Manuscript Number : SHISRRJ203104
रंगों और रेखाओं की परिणतियाँ: शमशेर की कविता और चित्रकला का अन्तर्सम्बन्ध
Authors(1) :-डाॅ0 अनिल कुमार सिंह
शमशेर की कविताएं रूप, रस, गंध और स्पर्श के शब्द चित्र हैं। कविता और चित्रकला ये दोनों माध्यम उनकी चेतना में घुलकर एक हो जाते हैं। उनके भावों की लय उन्हें अपने में ढाल लेती हैं। शमशेर की प्रवृत्ति बिम्बों के चाक्षुष रूप को पकड़ने की रही है। मुक्तिबोध ने शमशेर को इसीलिए ‘इम्प्रेशनिस्ट चित्रकार’ कहा था। शमशेर ने अपने हृदय में आसीन चित्राकार को पदच्युत कर उसके स्थान पर कवि को अधिष्ठित किया है। शमशेर वास्तविक भाव प्रसंग में उपस्थित संवेदनाओं का चित्रण करते हैं। वे लिखने को तो कविताएं लिखते हैं, लेकिन उनकी कविताएं धीरे-धीरे भावचित्रों का रूप ग्रहण करना प्रारंभ कर देती हैं। शमशेर ने चूंकि अपनी भावाभिव्यक्ति के लिए भाषा के अलावा शुद्ध रंगों व रेखाओं का भी सहारा लिया था, इसलिए भाषा और चित्रकला की अनुभूति ओर अभिव्यक्ति उनके यहाँ घुली-मिली हैं।
डाॅ0 अनिल कुमार सिंह
शमशेर, कविता, चित्रकला, इम्प्रेशनिज़्म, संवेदना-ज्ञान।
Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
एसोशिएट प्रोफेसर: हिन्दी-विभाग, का0सु0 साकेत पी0जी0 कालेज, अयोध्या, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2020-09-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 340-344
Manuscript Number : SHISRRJ203104
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203104